रांची : सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सांसद निशिकांत दुबे, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समेत 27 नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के संबंध में दर्ज मामले पर सुनवाई हुई। इन सभी नेताओं पर 2023 में रांची में प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाना का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
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राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने 14 अगस्त 2024 को मामले रद्द कर दिया था कि इसमें कोई सीधा आरोप नहीं है कि आरोपियों ने पथराव किया है और पुलिस बैरिकेड तोड़ा।भाजपा की ओर से बिगड़ती कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विरोध में मार्च का आयोजन किया गया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था और लाठीचार्ज भी किया था। सचिवालय तक मार्च पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी और राज्य के पार्टी सांसदों के नेतृत्व में शुरू हुआ था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर बलपूर्वक आगे बढ़ने की कोशिश की थी, जिसपर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और प्राथमिकी दर्ज की थी। राज्य सरकार की ओर से वकील ने कोर्ट में कहा था कि धारा-144 को प्रदर्शन के दौरान तोड़ा गया आरोपियों के नेतृत्व में अव्यवस्था फैलाई गई। झड़प में कई पुलिसकर्मी, पत्रकार भी घायल हुए और एसडीओ को भी चोट लगी थी। इसपर हाईकोर्ट ने कहा था कि उन्हे प्रदर्शन का अधिकार है। अगर कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो धारा-144 की क्या जरूरत है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योकि धारा-144 का दुरूपयोग हो रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट में भी सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से वकील ने कहा कि उस दिन प्रदर्शन हिंसक हो गया और जिम्मेदार नेता ऐसा कर रहे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है और एसएलपी खारिज की जाती है।