पलक्कड़ः केरल की पलक्कड़ जिला अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई केरल ड्रग्स इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज आपराधिक मामले में की गई है, जिसमें दिव्य फार्मेसी पर भ्रामक चिकित्सा विज्ञापन प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया है।
पहले जारी हुआ था जमानती वारंट
इससे पहले, कोर्ट ने 1 फरवरी को दोनों आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, लेकिन वे कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके बाद, अदालत ने सख्त कदम उठाते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया, ताकि 15 फरवरी को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।
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क्या है पूरा मामला?
दिव्य फार्मेसी, जो पतंजलि आयुर्वेद से जुड़ी हुई है, पर आरोप है कि उसने हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए थे। यह दावा ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनबल एडवरटाइजमेंट्स) एक्ट, 1954 का उल्लंघन करता है।
पहले भी विवादों में घिर चुके हैं बाबा रामदेव और पतंजलि
यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि आयुर्वेद और उसके संस्थापक कानूनी पचड़े में फंसे हैं। अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को उनकी सार्वजनिक माफी के बाद खारिज कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी थी कि भविष्य में वे इस तरह की गतिविधियों से बचें।
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गैर-जमानती वारंट का क्या मतलब है?
गैर-जमानती वारंट का मतलब है कि अब बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होना ही पड़ेगा। यदि वे 15 फरवरी को उपस्थित नहीं होते हैं, तो पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए कदम उठा सकती है।
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आगे की कार्रवाई
अब सभी की नजरें 15 फरवरी को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। यह मामला न केवल बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के लिए बल्कि पूरे पतंजलि समूह के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।