रांची: झारखंड के एक युवक आफताब अहमद ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर मध्यप्रदेश के ग्वालियर के टेकनपुर में तैनात बीएसएफ के इंस्पेक्टर अबसार अहमद को 32 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किये रखा। इस दौरान नोएडा के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज के तीन स्टूडेंट ने इंस्पेक्टर से 71 लाख रुपये ठग लिये। इस मामले में झारखंड के रहने वाले आफताब अहमद ने ग्रेटर नोएडा के अंकित वर्मा और दिल्ली के द्वारका सेक्टर-2 रहने वाले अखिल सिंह को पुलिस ने एक हॉस्टल से गिरफ्तार किया।
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बीएसएफ इंस्पेक्टर को डिजिटल अरेस्ट करने वाले सभी आरोपी 19 से 22 साल की उम्र के है। इनके पास से मोबाइल, छह एटीएम कार्ड और कई बैंकों के पासबुक बरामद किया गया है। इन तीनों ने 2 दिसंबर 2024 को वॉट्सएप के माध्यम से यूवी के रहने वाले बीएसएफ इंस्पेक्टर अबसार अहमद को कॉल किया था। फोन करने वाले ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया था और कहा था कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। आपके इस नंबर पर कई केस चल रहे हैं। कई जगह आपके मोबाइल का गलत इस्तेमाल हुआ है। जब इंस्पेक्टर ने कहा कि उन्होने कुछ नहीं किया है तो ठगों ने कहा-आपका फोन टेप हो रहा है। किसी को इस बारे में बताया तो आपके बच्चों और परिवार के लोगों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके बाद डरे बीएसएफ इंस्पेक्टर ठगों की बात मानते चले गए। सबसे पहले 15 लाख रुपये की मांग की गई और कहा गया कि आपके एक-एक पैसे की जांच होगी। अगर आपने गलत काम नहीं किया है तो केस बंद हो जाएगा और पैसा वापस कर दिया जाएगा।
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ठगों की बतों से डरे बीएसएफ इंस्पेक्टर ने पांच बार आरटीजीएस से और 29 बार यूपीआई के माध्यम से आरोपियों के खाते में 71 लाख रुपये ट्रांसफर किए। ठगों को पैसे देने के लिए बीएसएफ इंस्पेक्टर ने अपनी जमीन का भी सौदा कर दिया था। कुछ दोस्तों से भी पैसे उधार ले लिये थे। अपनी पूरी जमापूंजी निकालकर ठगों को दे दिया था। जब इस बात की जानकारी उनके बेटे को 2 जनवरी को हुई तो उसने पिता को बताया कि कैसे वो ठगों के चंगुल में फंसते चले गए। इसके बाद तत्काल हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत की गई। फिर ग्वालियर एसपी को पूरी आपबीती बताई गई। पूरी बात चुनने के बाद एसपी के निर्देश पर ठगों की तलाश शुरू की गई। ग्वालियर एसएसपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों से भी पूछताछ कर उनकी संपत्ति की भी जांच की जा रही है कि उन्होंने ठगी की राशि को कहां खर्च किया है। यह पूरा एक संगठित गिरोह है जो पढ़े-लिखे युवाओं को झांसे में लेकर और लालच देकर ग्रुप बनाता है। फिर टेलीग्राम के जरिए इस तरह की ठगी की वारदात को अंजाम दिया जाता है। फिलहाल मामले में पुलिस की विवेचना जारी है। आरोपियों को पकड़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्राइम ब्रांच अधिकारियों और कर्मचारियों को पुलिस रिवॉर्ड भी दिया जाएगा।