Hemant Soren Bail: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए आज बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आज यह फैसला हो जाएगा कि हेमंत सोरेन जेल से निकलेगे या फिर उन्हें अभी इंतजार करना होगा। झारखंड हाई कोर्ट शुक्रवार को उनकी जमानत पर फैसला सुनाएगी। इस मामले में जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत फैसला सुनाएगी।
मामले में दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 13 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा था कि हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से बड़गाईं अंचल के 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए एक्ट में निहित प्रविधानों के तहत मनी लांड्रिंग है। हेमंत सोरेन भूमि घोटाला के सबसे बड़े लाभुक हैं और वह काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्होंने स्वयं को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का उपयोग किया है। जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन जांच को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें जमानत की सुविधा नहीं दी जाए।
हेमंत सोरेन का दावा- मामला राजनीतिक
हेमंत सोरेन की ओर सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया था कि यह मनी लांड्रिंग का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया है। विनोद सिंह के वाट्सएप चैट में जिस 8.86 जमीन पर बैंक्वेट हाल बनाने की बात कही जा रही है, वह उस जमीन का नहीं है। यह केवल ईडी का अनुमान है। उनकी ओर से कहा कि सदर थाना में जो मामला दर्ज हुआ है, उसकी जांच अभी बाकी है। ईडी कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है। इसलिए जमानत याचिका दाखिल की गई है।
हेमंत सोरेन का जन्म वर्ष 1975 में हुआ और इस भूमि की खरीद-बिक्री 1970 के आसपास ही हो गई थी। भानू प्रताप के पास से जो दस्तावेज बरामद हुए थे, उसमें हेमंत सोरेन का कहीं भी नाम नहीं था। जिस जमीन की बात की जा रही है, उसका एक भी टुकड़ा भी हेमंत सोरेन के नाम पर नहीं है। यह केस पूरी तरह बेबुनियाद है। हेमंत सोरेन को जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।