लोहरदगा: शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और सरकारी स्कूलों को आधुनिक बनाने की मंशा से शुरू की गई भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पीएमश्री योजना (प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) लोहरदगा में भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है। योजना के तहत मिलने वाली करोड़ों की सरकारी राशि का गुपचुप तरीके से दुरुपयोग और बंदरबांट सामने आई है। योजना का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों और एजेंसियों की मिलीभगत से शिक्षा के मंदिरों को लूट का अड्डा बना दिया गया है।
पीएमश्री में कैसे हुआ घोटाला
सूत्रों के अनुसार, जिले के आठ पीएमश्री स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रमों के नाम पर कई लाख रुपए की निकासी कर ली गई, लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम अधूरे या नाममात्र के हैं।
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‘बिरसा मुंडा लर्निंग फेस्टीवल’ के नाम पर प्रति विद्यालय ₹50,000 के हिसाब से ₹4 लाख की राशि मिली, जिसमें बच्चों को भ्रमण कराना था, लेकिन यह भ्रमण कभी हुआ ही नहीं।
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‘एक्सपोजर विजिट’ में हर बच्चे पर ₹500 खर्च होने थे, लेकिन स्कूलों में न कोई यात्रा हुई और न ही छात्र लाभान्वित हुए, बावजूद इसके पैसे की निकासी कर ली गई।
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संस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी ₹4 लाख की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन वह भी सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गई।
न टेंडर, न ट्रांसपेरेंसी, फिर भी निकासी
बिना किसी निविदा प्रक्रिया (टेंडर) के लाखों के कार्य टेबल टेंडर के जरिए चहेती एजेंसियों को सौंप दिए गए। शिक्षकों पर दबाव बनाया गया कि वही एजेंसियां उनसे सामग्री सप्लाई करें। इससे न केवल गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं, बल्कि पारदर्शिता भी पूरी तरह से गायब है।
बताया गया है कि कलर डस्टबिन, थ्री-डी सेल्फी प्वाइंट, म्यूजिक सिस्टम, बैंड ड्रेस, बुक्स आदि के नाम पर करीब ₹20 लाख की राशि निकाल ली गई, लेकिन अभी तक विद्यालयों को कुछ भी सप्लाई नहीं हुआ।
स्वास्थ्य शिविर भी बना दिखावा
सरकार ने सभी पीएमश्री स्कूलों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए थे, जिसके लिए प्रत्येक स्कूल को ₹50,000 यानी कुल ₹4 लाख दिए गए। लेकिन हकीकत ये है कि अधिकांश स्कूलों में ये शिविर सिर्फ कागज़ों पर हुए और राशि की बंदरबांट कर ली गई।
जवाबदेही नदारद, अधिकारी मौन
मामले की गंभीरता के बावजूद अब तक किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीएमश्री के नोडल पदाधिकारी विनय बंधू कच्छप छुट्टी पर होने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।
वहीं उपायुक्त ने माना है कि मामला गंभीर है और हर बिंदु पर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
आरके सिंह ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
आरटीआई कार्यकर्ता आरके सिंह ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर इस तरह की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहीं, तो सरकारी स्कूलों की साख पूरी तरह खत्म हो जाएगी।