नई दिल्लीः मैं कर्नल सोफिया कुरैशी… ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार की जब प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई तो दो महिला सैन्य अधिकारियों ने पाकिस्तान को ऐसा जवाब दिया कि पीढ़ियां याद रखेंगी । भारत के विदेश सचिव ने साफ कहा कि पहलगाम पर अटैक देश की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाते हुए भारत में सांप्रदायिक दंगे फैलाने की साजिश थी । कर्नल सोफिया कुरैशी का मंच पर आकर देश को ये बताना कि भारत ने किस तरह पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया है ये बताता है कि सांप्रदयिक जहर को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार की ओर किस तरह से कोशिशें की जा रही हैं ।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर न्याय की दिशा में निर्णायक कदम उठाया, जिसमें पाकिस्तान और पीओजेके में फैले आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर 9 आतंकी शिविरों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया ।
9 आतंकी शिविर तबाह
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने विस्तार से पूरे देश को बताया कि किस तरह हुआ पूरा ऑपरेशन सिंदूर । सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में फैले 9 आतंकी शिविरों को सटीकता से निशाना बनाया। ये शिविर आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा पिछले तीन दशकों से संचालित किए जा रहे थे, जहां आतंकियों की भर्ती, ट्रेनिंग, और लॉन्चिंग की जाती थी।
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कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
सोफिया कुरैश ने मार्च 2016 में, तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया, जिसमें 18 देशों ने भाग लिया था। यह अभ्यास पुणे में हुआ था और इसमें चीन, जापान, रूस, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे। लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी एकमात्र महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने इस अभ्यास में किसी दल का नेतृत्व किया। वे शांति स्थापना अभियानों में भी सक्रिय रही हैं।2006 में, उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में काम किया और 2010 से शांति ऑपरेशंस में जुड़ी रही हैं। गुजरात की रहने वालो सोफिया बायोकेमिस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वर्तमान में देश की सेवा कर रही सोफिया भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत 1999 में शामिल हुईं थीं। उस दौरान उनकी उम्र महज 17 साल की थी। सोफिया सेना के सिग्नल कॉप्स में भी ऑफिसर रही थीं। आपको बता दें कि वे आर्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती हैं, उनके दादा भी सेना में थे।उनके पति मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री में आर्मी ऑफिसर हैं।
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इन आतंकी कैंपों को किया गया टारगेट
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तवाई नाला कैंप (मुज़फ़्फराबाद, पीओजेके): लश्कर का प्रमुख ट्रेनिंग सेंटर।
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सैयदना बिलाल कैंप: जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया।
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फुलपुर कैंप (कोटली): रजौरी-पुंछ में सक्रिय लश्कर का अड्डा।
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बरनाला कैंप (भिंबर): आईईडी और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग सेंटर।
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अब्बास कैंप (कोटली): फिदायीन आतंकियों की ट्रेनिंग का गढ़।
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टरज कैंप (सियालकोट): जम्मू में पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल आतंकियों की ट्रेनिंग साइट।
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मेहमूना चाया कैंप (सियालकोट): हिजबुल मुजाहिदीन का नियंत्रण केंद्र।
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मरकज़ तबा (मुरीदके): 26/11 के हमलावरों का ट्रेनिंग कैंप।
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मरकज़ सुभान अल्लाह (भावलपुर): जैश का हेडक्वार्टर और indoctrination सेंटर।
हमला सटीक था, आतंकी ही निशाने पर थे
भारतीय सेना ने इन सभी शिविरों को आधुनिक तकनीक और precision strike weapons की मदद से सटीक और क्लीनिकल एफिशिएंसी से नष्ट किया। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि कोई भी नागरिक या सैन्य ठिकाना प्रभावित न हो। किसी भी प्रकार की नागरिक क्षति की कोई रिपोर्ट नहीं है।
भारतीय सेना का संदेश साफ: आतंक को जवाब मिलेगा
भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन यदि पाकिस्तान की ओर से कोई दुस्साहस होता है, तो उसका सख्त और निर्णायक जवाब दिया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर, न केवल एक जवाबी कार्रवाई थी, बल्कि यह एक संदेश था कि भारत आतंकवाद के खिलाफ “Zero Tolerance Policy” पर काम करता है।