रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बागी कहीं ज्यादा मुश्किलें नहीं खड़ी कर दें इसलिए अब अमित शाह ख़ुद कमान संभालने जा रहे हैं। बगावत को थामने और चुनाव अभियान को तेज करने के मकसद से गृहमंत्री अमित शाह का शनिवार को झारखंड में कार्यक्रम है । अमित शाह शनिवार को रांची पहुंचकर प्रदेश के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों और प्रचार अभियान की समीक्षा करेंगे।
चंपाई के बेटे के लिए करेंगे प्रचार
अमित शाह रविवार को घाटशिला, बरकट्ठा और सिमरिया में रैली भी करेंगें। घाटशिला से चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां से जेएएम प्रत्याशी रामदास सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं।
बागी है असली सिरदर्द
झारखंड में बागी बीजेपी के लिए अभी भी सिरदर्द बने हुए हैं। झारखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी के रूठे हुए नेताओं के घर घर जाकर मनाने की कोशिश की। बीजेपी ने इस काम में अपने कुछ केंद्रीय मंत्रियों और पड़ोसी राज्य के वरिष्ठ नेताओं को भी लगाया जिन्होंने बाग़ियों से संपर्क साधा और उनको सरकार बनने पर पार्टी और सरकार में उचित सम्मान देने का भरोसा दिया।
इसमें बीजेपी को सफलता भी मिली और कई नेताओं ने नाराज़गी छोडकर बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जिताने का ऐलान किया। बागियों को मनाने की बीजेपी की कोशिशें अभी भी जारी हैं पर इस सारी कवायद के बाद अभी भी कई असंतुष्ट नेता बीजेपी के लिए टेंशन दे रहे हैं।
दरअसल दर्जनों नाराज नेताओं को भारतीय जनता पार्टी मनाने में सफल रही लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे नेता भी रहे जो पार्टी से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इन बागियों ने चुनावी मैदान में बीजेपी के बड़े चेहरों की मुश्किलें बढा दी हैं।ॉ
निरंजन राय से निपटेंगे अमित शाह
पहला नाम निरंजन राय का है, जो एक समय में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी हुआ करते थे। लेकिन आज
निरंजन राय उसी बाबूलाल मरांडी के खिलाफ धनवार से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक रहे हैं। निरंजन राय बीजेपी के टिकट पर धनवार सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, पर जब बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को उम्मीदवार बनाया तो नाराज निरंजन राय धनवार से निर्दलीय मैदान में उतर गए। ऐसा नहीं है कि निरंजन राय को बीजेपी ने मनाने की कोशिश नहीं की.. निरंजन राय को मनाने के लिए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे उनके घर तक गए पर निरंजन राय ने मानने से इनकार कर दिया ।
जमशेदपुर पूर्वी से शिवशंकर सिंह मानेंगे ?
दूसरा नाम है शिवशंकर सिंह का जो जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से चुनावी मैदान में है। इस सीट से झारखंड के पूर्व सीएम और मौजूदा ओडिशा गवर्नर रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है। शिवशंकर को भी बीजेपी ने मनाने की कोशिश की पर उन्होने नाम वापिस लेने से इंकार करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई बीजेपी से नहीं बल्कि परिवारवाद और भाई-भतीजावाद के खिलाफ है।
गुमला सीट पर भी हैं मुश्किलें
गुमला सीट पर सुदर्शन भगत बीजेपी के उम्मीदवार हैं और बीजेपी के युवा नेता मिशिर कुजूर बागी खड़े हुए हैं। हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री जुएल उराँव के अनुरोध के बावजूद मिशिर कुजूर ने नामांकन वापिस नहीं लिया। कुजूर 2019 के विधानसभा चुनाव में गुमला सीट से बतौर हीजेपी उम्मीदवार जेएमएम के भूषण तिर्की से महज 7,000 वोटों से हार गए थे, इसलिए इस बार वो इस सीट से बीजेपी के प्रमुख दावेदार थे।
मान जाएंगे गणेश महली
चौथा नाम है गणेश महली का। बीजेपी ने सरायकेला से जेएमएम से आए और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। गणेश महली ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर सरायकेला सीट पर जेएमएम प्रत्याशी रहे चंपाई सोरेन को दो बार कड़ी टक्कर दी थी। पर चंपाई सोरेन के बीजेपी में आने और पार्टी द्वारा उम्मीदवार बनाने से गणेश महली बागी हो गए और जेएमएम में शामिल होकर उसी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को टक्कर दे रहे हैं।
इसके अलावा लातेहार, नाला,,हटिया समेत कई सीटें है जहां आंतरिक विरोध के चलते बीजेपी और एनडीए प्रत्याशियों के सामने चुनौतियां हैं।ऐसे में जिन बाग़ियों ने पहले बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन किया था पर बाद में मनाने पर नाम वापिस ले लिया उनसे अमित शाह मुलाकात कर सकते हैं।