रांची: ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर कमीशन की जांच में ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान मंत्री के नौकर के घर लेन-देन को लेकर कुछ दस्तावेज भी मिले थे। इस दस्तावेजों के आधार पर ईडी की टीम मंत्री को दिये जाने वाले कमीशन की रकम और उसके कोड को सुलझाने में लग गई है। मंत्री के लिए एम और एच कोड का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें मंत्री आलमगीर आलम के अलावा कई और लोगों को दिये जाने वाले कमीशन का जिक्र है। 2024 में कमीशन के लेन देन की पूरी लिस्ट ईडी को मिल चुकी है। इसी लिस्ट के आधार पर ईडी मंत्री आलमगीर आलम उनके ओएसडी रहे संजीव लाल और उसके सहयोगी जहांगीर आलम से रिमांड में पूछताछ कर रही है। इस लिस्ट में दिये गये नामों से पता चलता है कि कई डिवीजन में पहले से दागी कई ठेकेदारों को नियम ताक पर रखकर टेंडर दिये गये।
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6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी और उनके नौकर जहांगीर आलम के घर ईडी ने छापेमारी की थी। दो दिनों तक इस मामले में हुई छापेमारी के दौरान 37 करोड़ रूपये से ज्यादा के कैश और कमीशन के लेन देन को लेकर नोटों के बीच कई पर्चियां और कई दस्तावेज भी मिले थे। इन दस्तावेजों में कमीशन के रूप में दी जाने वाली रकम का भी जिक्र था। ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के मामले को लेकर संजीव लाल और जहांगीर आलम के घर छापेमारी की गई और उसके बाद ईडी ने समन देकर मंत्री को बुलाया और 14 मई को उन्हे गिरफ्तार कर लिया। ईडी ने कोर्ट में दिये गये मंत्री के रिमांड पिटीशन में दावा किया था कि मंत्री को कमीशन के रूप में 1.50 प्रतिशत रकम दी जाती थी। इससे पहले वीरेंद्र राम ने भी डेढ़ प्रतिशत कमीशन मिलने की बात कही थी। ईडी की टीम अब इन दस्तावेजों के आधार पर कमीशन देने और लेने वालों की कुंडली खंगाल रही है।