रांचीः पीएम मोदी के आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के बाद मौन व्रत की योजना पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने अपनी आपत्ति जताई है । कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी मौन व्रत को आचार संहिता का उल्लंघन बताया है । दिल्ली में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला और इसकी शिकायत की ।
पीएम के ध्यान पर कांग्रेस की शिकायत
अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि हमने चुनाव आयोग से कहा है कि 48 घंटे के मौन काल में किसी को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए । कोई भी नेता कुछ भी करे, हमें उससे कोई आपत्ति नहीं है. चाहे वे मौन व्रत रखें या कुछ और, मौन काल में अप्रत्यक्ष प्रचार नहीं होना चाहिए ।हमने शिकायत की है कि प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि वे 30 मई की शाम से मौन व्रत पर बैठेंगे । मौन काल 30 मई को शाम 7 बजे से 1 जून तक रहेगा. यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। ये या तो प्रचार जारी रखने या खुद को सुर्खियों में बनाए रखने के हथकंडे है । कांग्रेस ने कहा है कि पीएम मोदी के ध्यान का प्रसारण रोका जाए ।
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हमने चुनाव आयोग के सामने महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी है:
– हमने अपनी शिकायत में चुनाव आयोग से कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है।
– क्योंकि प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि वे 30 मई की शाम से मौन व्रत पर… pic.twitter.com/WgNA86VbJv
— Congress (@INCIndia) May 29, 2024
ममता बनर्जी को भी मौन व्रत पर ऐतराज
बंगाल में भी ममता बनर्जी पीएम मोदी के ध्यान पर कहा कि उन्हें इस पर कोई ऐतराज नहीं लेकिन पीएम के इस कार्यक्रम के प्रसारण का प्रसारण रोकना चाहिए नहीं तो वो चुनाव आयोग से शिकायत करेंगी। गौरतलब है कि पीएम मोदी कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद के स्मारक पर अड़तालीस घंटे का मौन व्रत रखने वाले हैं । ये ठीक उसी तरह है जैसा की 2019 के चुनाव के बाद पीएम ने केदारनाथ की गुफा में जाकर किया था ।
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