विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। महागठबंधन में रार की स्थित उत्पन्न हो गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने कहा है कि पार्टी जल, जंगल और जमीन, शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों को आधार बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। राष्ट्रीय सचिव झारखंड सह प्रभारी रामकृष्ण पांडा ने कहा है कि सीपीआई ने पहले फेज में कुल 15 सीटों को चिन्हित किया है, जहां पार्टी चुनाव लड़ने का दमखम रखती है।
पार्टी इन सीटों और यहां के उम्मीदवारों की घोषणा मंगलवार (22 अक्टूबर) को कर देगी। उन्होंने यह जानकारी पार्टी मुख्यालय में रविवार को प्रेस वार्ता कर दी है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सीपीआई इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनेगी तो उन्होंने कहा कि बातचीत के दरवाजे अभी बंद नहीं हुए हैं। सहयोगियों से बातचीत जारी है। अगर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो सीपीआई 15 सीटों पर उतरेगी।
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रामकृष्ण पांडा ने कहा कि सांप्रदायिक शक्तियों और कॉरपोरेट लूट को रोकने के लिए भी मिलकर चुनाव लड़ना नितांत जरूरी है। केंद्र की भाजपा सरकार और उसके सहयोगी कॉर्पोरेट घरानों की नजर झारखंड की खनिज संपदा है। भाजपा की नजर में दलित, आदिवासी, वंचितों के अधिकारों के कोई मायने नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए सभी साथ प्रयास करें।
रामकृष्ण पांडा ने बताया कि पार्टी का पहला लक्ष्य झारखंड में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोकना है। बीते दो दिनों तक चले सीपीआई राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक में इन बातों पर प्रमुखता से चर्चा हुई। यह बैठक पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें महासचिव डी. राजा सहित कई बड़े नेता उपस्थित रहे।
बैठक की शुरुआत में पार्टी के दिवंगत साथियों के सम्मान में 1 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि झारखंड में वाम एवं धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए। यह सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की जिम्मेदारी भी है।
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