रांची: ईडी ने तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और उनके आप्त सचिव संजीव लाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकता दर्ज करने की अनुशंसा की है। प्रवर्तन निदेशालय ने ग्रामीण विकास विभाग में कमीशनखोरी की जांच के दौरान मिले तथ्यों को पीएमएलए की धारा- 66 2 के तहत सरकार से साझा किया है। साथ ही यह भी कहा है कि बीरेंद्र राम के मामले में साझा किये गयी सूचनाओं के आलोक में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से संबंधित को भी जानकारी ईडी को नहीं मिली है।
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ईडी की ओर से मुख्य सचिव को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि जांच और गवाहों के बयान के आधार पर यह सुनिश्चित किया गया है कि जहांगीर आलम के घर से जब्त किये गए 32.20 करोड़ रुपये तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के ही है। जहांगीर आलम तत्कालीन मंत्री के करीबी है। संजीव लाल ने पीएमएलए की धारा-50 के तहत दर्ज कराये गए अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि वह मंत्री के हिस्से का कमीशन इंजीनियरों के माध्यम से वसूलते थे और जहांगीर के पास सुरक्षित रखवाते थे। टेंडर की कुल लागत में मंत्री को बतौर कमीशन 1.35 प्रतिशत मिलता था, ग्रामीण विकास के तत्कालीन मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम ने पीएमएलए की धारा-50 के तहत बयान दिये और अपने बयान में इंजीनियरों के माध्यम से मंत्री को तीन करोड़ रुपये दिये जाने की बात स्वीकार की थी। इस तरह के मामले में जब्त कुल 35 करोड़ रुपये का संबंध तत्कालीन मंत्री से है। यह रकम प्रोसीफ ऑफ क्राइम है।