दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अरविंद सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे के लिए उन्होने दिल्ली कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया को जिम्मेदार ठहराया है। इस्तीफे को लेकर लवली ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखी है।
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दिल्ली कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया के तौर तरीकों को लेकर कई नेताओं ने सवाल उठाये है। लवली के अनुसार उनपर बावरिया के खिलाफ रहने वाले नेताओं को पार्टी से निकालने का दवाब था। लवली ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘यह पत्र में बहुत भारी दिल से लिख रहा हूं, मैं पार्टी में खुद को एकदम लाचार महसूस करता हूं ,इसलिए अब दिल्ली के अध्यक्ष पद पर बना नहीं रह सकता। दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के लिए गए सभी सर्वसम्मत फैसलों पर एकतरफा दिल्ली के प्रभारी (दीपक बाबरिया) रोक लगा देते हैं ।जब से मुझे दिल्ली का पार्टी चीफ बनाया गया है, तब से मुझे किसी को भी सीनियर पद पर नियुक्त करने की अनुमति नहीं है.’।
चिट्ठी में लवली ने अपनी पीड़ा लिखते हुए कहा कि मैने एक अनुभवनी नेता को मीडिया प्रभारी के रूप में नियुक्ति करने का अनुरोध किया लेकिन दिल्ली प्रभारी ने उसे खारिज कर दिया। यही नहीं दीपक बावरिया ने अब तक ब्लॉक प्रभारी नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी, इसलिए दिल्ली में अबतक 150 ब्लॉक प्रभारी नियुक्ति नहीं हो सके है।
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे के बाद उनसे मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता सुभाष चोपड़ा ने कहा, “मैंने कारण जानना चाहा कि उन्होंने(अरविंदर सिंह लवली) क्यों इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि वे पार्टी को कारण बता चुके हैं… ये हम सभी के लिए चौकाने वाला है लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल अपने पद से इस्तीफा दिया है पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है… ये पार्टी का आंतरिक मामला है… वे पार्टी में हैं और पार्टी के साथ हैं…”
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, “…कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस का कार्यकर्ता होकर उनमें(अरविंदर सिंह लवली) एक व्यक्तिगत पीड़ा है… उनकी पीड़ा है कि दिल्ली में हम अपनी पुरानी साख को लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस का अध्यक्ष बनना कांटों का ताज है। इसके बावजूद पिछले 6-8 महीने में उन्होंने मेहनत करके पार्टी खड़ी की… सबको ये लगा था कि धीरे-धीरे कांग्रेस जागृत हो रही है और जब हमें 2 या 3 सीटें मिलती है तो ऐसा लगता है कि अगर हम कांग्रेस के सभी लोगों की सहमति के साथ लोगों को सीट दें तो आगे गाड़ी बेहतर चलेगी…”