रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए की हार के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार बताये जा रहे है। इस चुनाव में बीजेपी की हार का एक फैक्टर सांसदों का अपने लोकसभा क्षेत्र में गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए काम नहीं करना बताया जा रहा है। बीजेपी के गढ़ कोयलांचल में उसकी सीटें कम हो गई इसके पीछे इस क्षेत्र से आने वाले दो सांसदों का अपने पार्टी और गठबंधन की जगह अपने भाई के विधानसभा क्षेत्र पर फोकस करना बताया जा रहा है।
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कोयला क्षेत्र में एनडीए की हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार धनबाद से सांसद ढुल्लू महतो को बताया जा रहा है। धनबाद लोकसभा क्षेत्र में आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी की हार हुई है। 2019 में बीजेपी ने बोकारो, सिन्दरी, निरसा, धनबाद और चंदनकियारी विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज की थी सिर्फ झरिया में उसकी हार हुई थी। लेकिन 2024 में धनबाद और झरिया छोड़कर अन्य सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार हार गए। इसके पीछे धनबाद से बीजेपी सांसद ढुल्लू महतो का अपने लोकसभा क्षेत्र पर ध्यान न देकर बाघमारा विधानसभा क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना बताया जा रहा है जहां से उनके भाई शत्रृध्न महतो उम्मीदवार थे। बाघमारा वैसे तो गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में आता है लेकिन ढुल्लू अपने पुरानी सीट बाघमारा में किसी कीमत पर जीत चाहते थे जिसमें वो कामयाब तो हुए लेकिन उसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ा और धनबाद की चार सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव हार गए।
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परिवार के मोह में पार्टी और गठबंधन को किनारे लगाने वालों में गिरिडीह से आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी भी पीछे नहीं रहे। अपने भाई और पत्नी को चुनाव जीतने में लगे सीपी चौधरी की वजह से एनडीए को गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा। चंद्रप्रकाश चौधरी के भाई बड़कागांव की सीट से बीजेपी के उम्मीदवार थे और पत्नी रामगढ़ सीट से आजसू पार्टी की उम्मीदवार थी। बड़कागांव से रौशन चौधरी तो चुनाव जीत गए लेकिन रामगढ़ से सुनीता चौधरी कांग्रेस की ममता देपी के हाथों चुनाव हार गई। सीपी चौधरी अपने भाई और पत्नी को चुनाव लड़ाने में लगे रहे वहीं एनडीए को गिरिडीह सीट पर नुकसान उठाना पड़ गया। गोमिया, बेरमो, टुंडी, बाघमारा, गिरिडीह और डुमरी की सीट में से सिर्फ बाघमारा की सीट पर एनडीए को जीत मिली जहां बीजेपी सांसद ढुल्लू महतो के भाई शत्रुध्न महतो ने जीत दर्ज की। गिरिडीह और धनबाद सीट के सांसदों द्वारा परिवार के सदस्यों को विधानसभा पहुंचाने की कीमत एनडीए को चुकाने पड़ा जहां 5 सीटों को नुकसान गठबंधन को हो गया।