रांचीः JSCC CGL पेपर लीक को लेकर आयोग ने इससे इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि जो सबूत दिए गए हैं उससे कहीं साबित नहीं होता है कि पेपर लीक हुआ है । JSCC सचिव सुधीर गुप्ता ने कहा है कि इस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है कि रिजल्ट जारी कर दिया गया है जबकि ये फाइनल रिजल्ट नहीं है अब डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा उसके बाद रिजल्ट जारी होगी ।
आयोग ने कहा कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं । दो अलग-अलग दिनों में परीक्षा हुई है और कहा जा रहा है कि दूसरे दिन जिन्होंने परीक्षा दी उनके पास होेने वालों की संख्या ज्यादा है लेकिन हकीकत ये है कि दूसरे दिन जनजातीय भाषाओं की परीक्षा दी थी जिसमें अच्छी संख्या में छात्र उत्तीर्ण हुए हैं ।
आयोग ने इन आरोपों से भी इनकार किया है बाहरी लोगों को ज्यादा सीट दी गई है जबकि हकीकत इससे परे हैं । गौरतलब है कि कई छात्र संगठनों ने आयोग की दफ्तर के घेराव करने की योजना बनाई है । सुधीर गुप्ता ने कहा कि आयोग को डराने की कोशिश की जा रही है । आयोग के सचिव ने कहा कि आयोग प्रक्रिया के आधार पर काम कर रहा है ।
आयोग द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी करके पूरे मामले में अपना पक्ष स्पष्ट किया गया है ।
- दिनांक 21-09-2024 और 22-09-2024 को आयोजित परीक्षा
- 823 परीक्षा केंद्रों पर कुल 3,04,694 अभ्यर्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए।
- इस परीक्षा से संबंधित प्रतिवेदन दिनांक 26-09-2024 को राज्यपाल सचिवालय को प्राप्त हुआ।
- कुछ निरीक्षण अधिकारियों द्वारा यह प्रतिवेदन दिनांक 25-09-2024 और 26-09-2024 को राज्यपाल सचिवालय और JSSC कार्यालय को सौंपा गया, लेकिन बिना जाँच पूरी किए।
- दिनांक 26-09-2024 और 30-09-2024 को वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया और बिना स्वीकृति के कई समूहों ने आयोग कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इसमें हंगामा और तोड़फोड़ हुई, जिसमें कई अधिकारी घायल हुए। इस संदर्भ में प्राथमिक रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई।
- प्रतिवेदन में लगाए गए आरोप
- प्रतिवेदन में कुल 5 आरोप लगाए गए।
- साक्ष्य के रूप में एक सीडी और एक पेनड्राइव प्रस्तुत की गई, जिसमें खाली सीडी पाई गई।
- आरोपियों को शपथ-पत्र के साथ मूल मोबाइल और वीडियो प्रस्तुत करने का नोटिस दिया गया, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।
- परीक्षा में पेपर लीक के आरोप
- परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाया गया, लेकिन इसके साक्ष्य के रूप में केवल कुछ प्रश्नों के सही उत्तर प्रस्तुत किए गए।
- प्रतिवेदन में तीन आरोपों का प्रश्नपत्र लीक से कोई संबंध नहीं पाया गया।
- कुछ प्रश्नों के उत्तर परीक्षा से पहले लीक होने के दावे के साथ संलग्न फोटो और वीडियो की जाँच में पाया गया कि वे संपादित किए गए थे।
- आयोग द्वारा दस्तावेज़ सत्यापन
- दिनांक 16-12-2024 से 20-12-2024 तक कुल 2,231 अभ्यर्थियों को कॉमन मेरिट लिस्ट से शॉर्टलिस्ट कर दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया।
- परीक्षा में सम्मिलित सभी अभ्यर्थियों के OMR शीट की जाँच और अंतिम मूल्यांकन निष्पक्ष तरीके से किया गया।
- इसके बाद, जिला और केंद्रवार परिणाम का विश्लेषण किया गया, जिसमें किसी भी परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी नहीं पाई गई।
- कट-ऑफ मार्क्स जारी न होने पर प्रश्न
- सोशल मीडिया पर यह प्रश्न उठाया गया कि दस्तावेज़ सत्यापन के साथ कट-ऑफ मार्क्स क्यों जारी नहीं किए गए।
- आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रारंभिक दस्तावेज़ सत्यापन है, अंतिम परीक्षा परिणाम नहीं। कट-ऑफ मार्क्स अंतिम परिणाम जारी होने के बाद प्रकाशित किए जाएंगे।
- बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों पर विवाद
- सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई गई कि झारखंड राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों को बड़ी संख्या में सफल घोषित किया गया है, जो पूरी तरह से गलत है।
- दस्तावेज़ सत्यापन के लिए जारी सूची आरक्षण नीति और मेरिट लिस्ट के अनुसार तैयार की गई।
- सूची में अनुसूचित जनजाति के लगभग 30%, अनुसूचित जाति के 12%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC-1) के 22% और पिछड़ा वर्ग (BC-2) के 19% अभ्यर्थी शामिल हैं। कुल 83.5% आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी हैं।
- परीक्षा के पहले दिन का विवाद
- दिनांक 21-09-2024 को केवल 82 अभ्यर्थियों को दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया।
- पहले दिन केवल हिंदी भाषा के अभ्यर्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए।
- सभी जातियों और क्षेत्रीय भाषाओं के अभ्यर्थी दूसरे दिन, 22-09-2024 को परीक्षा में सम्मिलित हुए।
- परीक्षा के सामान्य मेरिट लिस्ट में क्षेत्रीय भाषाओं और जातियों के लगभग 88% अभ्यर्थी सफल हुए, जो झारखंड राज्य के निवासी हैं।
- दस्तावेज़ सत्यापन के आंकड़े
- कुल 2,231 अभ्यर्थियों को दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया, जिनमें से 2,145 (96%) झारखंड राज्य के निवासी हैं।
- बाहरी राज्यों से उत्तर प्राप्त होने पर विवाद
- परीक्षा के दौरान बाहरी राज्यों से उत्तर प्राप्त होने का आरोप लगाया गया, लेकिन इस संदर्भ में आयोग कार्यालय को कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ।
- धमकी भरे ईमेल
- दस्तावेज़ सत्यापन की सूचना प्रकाशित होने के बाद आयोग को एक धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों को जान से मारने की धमकी दी गई।
- परीक्षा में पारदर्शिता
- परीक्षा केंद्रों पर हर कक्ष में कम से कम दो पर्यवेक्षकों के साथ CCTV (कुल 15,991 कैमरे) का प्रबंध किया गया।
- किसी भी जिले के उपायुक्त द्वारा परीक्षा में गड़बड़ी की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई।
- सभी 823 परीक्षा केंद्रों पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण परीक्षा आयोजित की गई।
- आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस के बाद एक प्रेस रिलीज भी जारी किया जो नीचे संलग्न है।