Atul Subhash: सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे अतुल सुभाष को लेकर बड़े- बड़े खुलासे हो रहे हैं। अब उनके वकील ने बताया है कि सुभाष की सैलरी का करीब आधा हिस्सा तो उनके बेटे को देने के आदेश फैमिली कोर्ट ने दिए थे। इंजीनियर ने खुदकुशी से पहले पत्नी निकिता सिंघानिया समेत ससुराल के कई लोगों पर वीडियो और नोट के जरिए संगीन आरोप लगाए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फैमिली कोर्ट में अतुल सुभाष की तरफ से पेश होने वाले वकील दिनेश मिश्रा ने बताया है कि खुदकुशी की वजह अदालत का आदेश नहीं था। उन्होंने बताया कि अतुल ने न्याय व्यवस्था के साथ अपना सच्चा अनुभव साझा किया है और न ही कोर्ट और न जज की कोई गलती है।
रिपोर्ट के अनुसार, वकील ने कहा कि बेंगलुरु में अतुल का मासिक वेतन करीब 84 हजार रुपये था। जुलाई में उत्तर प्रदेश के जौनपुर के फैमिली कोर्ट ने अतुल के बच्चे के लिए हर महीने 40 हजार रुपये की गुजारा राशि देने का आदेश दिया था। उन्होंने यह भी साफ किया है कि यह आदेश खासतौर से बच्चे के खर्च के लिए था और इसमें पत्नी के लिए कोई भी प्रावधान शामिल नहीं थे।
मीडिया से बातचीत में मिश्रा ने कहा, ‘अतुल को शायद लगा होगा कि 40 हजार रुपये बहुत ज्यादा हैं। अगर उन्हें लगा कि यह रकम ज्यादा है, तो उन्हें इस आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट जाना चाहिए था।’ कथित तौर पर हर महीने उनके पास 44 हजार रुपये बच रहे थे। जिनकी मदद से उन्हें बेंगलुरु में किराये समेत परिवार का खर्च चलाना था।
उन्होंने बताया है कि अतुल की पत्नी अच्छे परिवार से थी और अच्छा कमाती थी इसलिए कोर्ट ने उनके लिए कोई गुजारा राशि का आदेश नहीं दिया था। वकील ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जान ले लेता है, तो कानून व्यवस्था को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत ने इस फैसले में तय कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है। उन्होंने खुदकुशी की इस घटना पर दुख भी जाहिर किया है।
क्या बोला परिवार
मीडिया से बातचीत में सुभाष के चाचा पवन कुमार ने आरोप लगाया कि उनके भतीजे को रुपयों के लिए परेशान तथा प्रताड़ित किया जा रहा था और उसकी पत्नी तथा न्यायाधीश ने भी उसे अपमानित किया।
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वह केस हार रहा था (जो उसकी पत्नी ने दायर किया था)। उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। वे (पत्नी और ससुराल वाले) उससे लगातार रुपये मांग रहे थे। अपनी हैसियत के अनुसार वह बच्चे के भरण-पोषण के लिए उसे (पत्नी को) रुपये दे रहा था।’
शुरुआत में परिवार ने 40,000 रुपये प्रति माह की मांग की, बाद में इसे दोगुना कर दिया और फिर सुभाष से एक लाख रुपये देने को कहने लगे। कुमार ने आरोप लगाया कि सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वाले उनके भतीजे से बच्चे (सुभाष का चार वर्षीय बेटा) के भरण-पोषण के बहाने रुपये ऐंठ रहे थे।
प्राइवेट नौकरी में स्थानीय लोगों को 75 % आरक्षण पर रोक, झारखंड हाईकोर्ट से राज्य सरकार को झटका