रांचीः महज 17 साल में ही अपराध की दुनिया में आया झारखंड का सबसे बड़ा गैंगस्टर अमन साहू जिसने लॉरेंस विश्नोई के साथ मिलकर झारखंड में आतंक का राज कायम किया था उस आतंक का अंत 11 मार्च 2025 को पलामू में हो गया। रायपुर से रांची लाने के दौरान पुलिस एनकाउंट में अमन साहू मारा गया। पुलिस की इंसास राइफल लेकर भागने की कोशिश करते हुए पुलिस ने उसे मार गिराया।
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अमन साहू झारखंड का सबसे बड़ा गैंगस्टर कैसे बना ये कहानी भी बहुत रोचक है। अमन साहू ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। एक मोबाइल दुकानदार से उसने गैंगस्टर तक का सफर तय किया। रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतबे गांव का रहने वाले अमन साहू ने कोयलांचल ही नहीं पूरे झारखंड में अपना आपराधिक साम्राज्य कायम कर लिया था।

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अमन साहू के दादा हरिदास साहू मतबे गांव में ही खेती-बाड़ी का काम किया करते थे। उसके पिता निरंजन साहू बुढ़मू से पतरातू आ गये और वहां 2008 में मोबाइल की दुकान खोली। इंटर की पढ़ाई करने के बाद अमन साहू मोबाइल दुकान चलाने लगा। इसी दौरान अपराधिक मानसिकता वाला अमन साहू सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय गिरोह के संपर्क में आया। पैसे की लालच में वो दोनों गिरोह के संरक्षण से अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा।
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बर्नपुर फैक्ट्री में फायरिंग मामले को लेकर पहली बार पुलिस ने अमन साहू को गिरफ्तार किया था और करीब 10 महीने तक वो जेल में रहा। इस दौरान ही उसने अपना नेटवर्क खड़ा करने की सोच बनाई। उसे एहसास हुआ कि वो सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय से बड़ा गैंग खड़ा कर सकता है। जेल से बाहर आने के बाद उसने दोनों का साथ छोड़कर अपना गैंग बनाया।
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देखते ही देखते अमन साहू गैंग का विस्तार हो गया। उसने पहले रामगढ़ और हजारीबाग जिले में कारोबारियों और ठेकेदारों से रंगदारी वसूलनी शुरू की। इसके बाद कोयलांचल और फिर रांची, पलामू, लातेहार में पैर पसारना शुरू किया और फिर झारखंड का सबसे बड़ा गैंगस्टर बन गया। वो एक हार्डकोर नक्सली के साथ साथ बड़ा गैंगस्टर भी बन गया। 2013 में उसने अपने गैंग को पूरी तरह खड़ा कर लिया।
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जेल में रहने के दौरान भी वो अपने गैंग को ऑपरेट करता रहता था। जेल में रहकर ही वो हत्या, रंगदारी, लूटपाट , वसूली कर जैसी घटनाओं को अंजाम देते था और सबसे बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन बनने की ख्वाहिश रखता था। जेल में रहने के दौरान वो जेलर को भी धमकी देता था। समय समय पर अमन साहू के जेल को बदल दिया जाता था। अमन साहू का दहशत दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा था और उसका दायर भी बढ़ रहा था। वो धीरे धीरे लॉरेंस विश्नोई के संपंर्क में भी आ गया और उसके लिए भी गुर्गे की व्यवस्था किया करता था। जेल में रहने के दौरान ही वो तमाम आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था। उसे महंगे कपड़े और खासतौर पर महंगे जूते का शौक था। सफेद जूते खास रूप से उसकी पहली पसंद थे।
झारखंड से बाहर भी उसने अपने पैर पसार लिये थे। छत्तीसगढ़ में भी उसपर दो आपराधिक मामले दर्ज थे। पिछले तीन महीनों से वो रायपुर के जेल में बंद था और वही से अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते था। रांची के बरियातू कोयला कारोबारी पर गोली चलाने और हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम की हत्या मामले में उसे झारखंड एटीएस रांची ला रही थी इसी दौरान पलामू में उसके गुर्गे उसे भगने की फिराक में लग गये और पुलिस वैन के पास बम बरसाने शुरू कर दिया। इसी का फायदा उठाकर अमन साहू पुलिस की इंसास राइफल लेकर भागने की तैयारी में था और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे ढेर कर दिया।