गढ़वाः झारखंड में पहले चरण की वोटिंग खत्म हो गई । मतदान का रिकॉर्ड टूटा नहीं लेकिन देश के सबसे खतरनाक नक्सली इलाके में पहली बार वोटिंग की तस्वीरों ने लोकतंत्र का झंडा ऊंचा कर दिया । हम बात कर रहे हैं बूढ़ा पहाड़ की । झारखंड़ के पलामू संसदीय क्षेत्र का एक ऐसा इलाका जहां आज से कुछ वर्षों पहले पुलिस तो क्या सीआरपीएफ के जवान भी जाने से खौफ खाते थे लेकिन ऑपरेशन बूढ़ा पहाड़ ने दशकों से नक्सलियों के कब्जे वाले इस इलाके को आजाद कर दिया ।
बूढ़ा पहाड़ में था लाल आतंक
घनघोर जंगल और दुर्गम रास्तों से घिरे बूढ़ा पहाड़ पर आज से तीस-पैंतीस साल भी पहुंचना मुश्किल था लेकिन जब से नक्सलियों ने गढ़वा के इस इलाके को अपने कब्जे में लिया तब से यहां खास तो क्या आम लोगों को भी जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था । आए दिन नक्सली घटनाएं, जन अदालत से त्रस्त जनता ने माओवाद को अपनी किस्मत मान ली थी ।
कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ ने दिलाई आजादी
लेकिन ऑपरेशन बूढ़ा पहाड़ की वजह से धीरे-धीरे यहां नक्सलियों का खात्मा हो गया । सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के साथ-साथ झारखंड पुलिस ने कई वर्षों की जंग के बाद बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया । हेमंत सोरेन जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने दौरा कर इलाके को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया ।
बैलेट के बाद पहली बार ईवीएम देखी
इस बार लोकसभा चुनाव में कई पीढ़ियों ने पहली बार वोटिंग की । इस इलाके कई बुजुर्गों ने जब आखिरी बार वोट डाला था तब बैलेट बॉक्स का रिवाज था अब ईवीएम में वोट डालने के बाद उन्होंने लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सिद्ध की। सैकड़ों की संख्या में बूढ़ा पहाड़ और आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों ने वोट डाला । हांलाकि कोई प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचा लेकिन चुनाव की आहट और जानकारियां यहां के लोगों को मिलती रही जिसकी वजह से बड़ी तादाद में निर्भय होकर लोगों ने वोट डाला
आरजेडी और बीजेपी में है टक्कर
पलामू में बीजेपी से बीडी राम और आरजेडी से ममता भुइयां चुनाव प्रत्याशी हैं । इस बार पलामू में 61.4 फीसदी मतदान हुआ । हांलाकि यह मतदान प्रतिशत पिछली बार से कम है लेकिन बूढ़ा पहाड़ में वोटिंग होना प्रशासन और सरकार के साथ-साथ यहां के बाशिंदों के लिए बड़ी कामयाबी है ।
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