रांची: झारखंड आदिवासी महोत्सव के समापन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन के साथ शामिल हुए। उन्होने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ये संयोग है कि मेरा जन्मदिन भी इसी दिन है। मुझे आज कई बधाईयां मिली, मै सबको धन्यवाद देता हूं, आभार जताता हूं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने जन्मदिन पर जेल का स्टाम्प लगी हुई हाथ की तस्वीर को किया शेयर, कहा- ये लोकतंत्र के चुनौतियों का है प्रतीक
समारोह को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने आदिवासी समाज के पिछड़ेपन और उत्थान को लेकर कई बातें कही। मुख्यमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड जहां आदिवासियों की बहुलता है, जहां आदिवासी की संस्कृति सभ्यता प्रकृति से जुड़ा हुआ है। हमारी संस्कृति का एक अनवरत हिस्सा गाना और नाचना हमेशा से रहा है, जिसको हम अहम मानते है। जिसको लेकर आदिवासी दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम करते है। हम आगे बढ़ रहे है और चुनौतियों का भी सामना कर रहे है। हम 100-150 साल पहले पुराने समय को याद करे, तो शायद उपस्थित लोग बहुत कम है जो उस समय के आदिवासी समाज के बारे में जानते हो। लेकिन अभी भी कुछ चीजें ऐसी हमारे सामने उभर कर आती है जो अभी आदिवासी समाज को अन्य समाजों से बिल्कुल अलग रखता है। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए ये केन प्रकारेण जद्दोजद कर रहा है, अगर हम इस भौतिकवादी युग में विकास के पैमाने पर देखे तो आदिवासी समाज के लोग गिनने से भी नहीं मिलेंगे। व्यापार जगत में दूसरों का धाक है, न्यायपालिका में आदिवासी समाज का पहुंच नहीं है। लिखने पढ़ने में भी अगर हम आईएएस-आईपीएस की बात करे तो उसमें भी गिने चुने लोग है, डॉक्टरों के रूप में भी इक्का दुक्का लोग है। लेकिन ऐसा नहीं है कि लोग आगे नहीं बढ़ रहे है, धीरे धीरे जरूर हम आगे बढ़ रहे है। अलग अलग क्षेत्रों से हमारे आदिवासी भाई-बहनें, छात्र-छात्राएं अपना अलग पहचान बना रहा है। अगर हम झारखंड की बात करें तो यहां संस्कृति-सभ्यता, नदी-पहाड़, खनिज संपदा तो है ही, लेकिन इससे अलग आपको याद होगा कि देश के हॉकी प्रतियोगिता को देखे तो उसमें सबसे अधिक खिलाड़ी अगर किसी राज्य का है तो वो झारखंड का है। एक एक करके निकलेंगे कोई न कोई रास्ता जरूर हमें मिलेगा और जरूर कोई न कोई राह दिखायेगा। आज इसी चुनौती के साथ इस राज्य को अपने कंधे पर लेकर इसके विकास का ग्राफ बढ़ाने का काम किया है। हमारा ये समाज कैसे आगे बढ़े, आज इस भौतिकवादी युग में सबसे बड़ा आघात इस समाज पर हो रहा है, हमें इसे बचाना है। आज कई सारी चीजें हमारे सामने लाई जाती है, जो हमसे भी बड़ा चुनौती भरे जीवन में जी रहे है। कभी कभी ऐसा लगता है, हम जो चुनौती देख रहे है और उनको जब हम देखते है तो हमको लगता है कि हमारा चुनौती कही आज के दिन में कही उनसे बड़ा नहीं है। हम सब लोग सभी समाज का सम्मान करते हुए, अनेकता में एकता का परिचय देते हुए एक सुंदर लोकतंत्र बनाए। जो देश के अलग अलग हिस्सों से यहां आए है उन्हे मै विश्वास दिलाता हूं कि 2025 में कलाकारों के लिए अलग से पॉलिसी बनाई जाएगी ताकि वो अपनी संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ा सके। विशेष रूप से आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए उनके लिए क्या हम बेहतर से बेहतर कर सकते है, उनके लिए अलग से व्यवस्था हम करेंगे। खेल और सांस्कृति इस राज्य का अहम हिस्सा रहा है। खेल के दिशा में हमलोगों ने कदम बढ़ा दी है। पंचायत स्तर पर खेल के मैदान का निर्माण किया, पंचायत स्तर पर खिलाड़ियों की प्रतियोगिता कराई, खिलाड़ियों को पुरस्कार दिया, आर्थिक सहायता दी, इसको अभी और आगे ले जाने की जरूरत है। हमारे कलाकारों के लिए, हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का जिम्मा ले रखी है इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है ये मेरी जानकारी में आई है। इसको विशेष ध्यान में रखते हुए कलाकारों के लिए बड़ी पॉलिसी के साथ हम आएंगे, ताकि ये भी अपने मान सम्मान के साथ देश दुनिया में जा सके, अपना और राज्य का नाम रौशन कर सके।