रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 के आखरी मन की बात कार्यक्रम में गुमला जिले के सिसई प्रखंड के मानगो गांव में संचालित कार्तिक उरांव आदिवासी कुडुख स्कूल की चर्चा की। मन की बात के 108वें एपिसोड में गांव के स्कूल की चर्चा और तारीफ से शिक्षक, विद्यार्थी और गांव वाले उत्साहित है और अपनी खुशी जाहिर कर रहे है। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से भाषा अब किसी भी बच्चे के पढ़ाई में बाधक नहीं बनेगी। जिस भाषा में बच्चा पढ़ने में सहज महसूस करे, उसी भाषा में पढ़ाएं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में मलगो गांव का जिक्र करते हुए कहा कि अब मैं आपको झारखंड के एक आदिवासी गांव के बारे में बताना चाहता हूँ। इस गांव ने अपने बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए एक अनूठी पहल की है। गढ़वा जिले के मंगलो गांव में बच्चों को कुडुख भाषा में शिक्षा दी जा रही है। इस स्कूल का नाम है, ‘कार्तिक उराँव आदिवासी कुडुख स्कूल’। इस स्कूल में 300 आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं। कुडुख भाषा, उरांव आदिवासी समुदाय की मातृभाषा है। कुडुख भाषा की अपनी लिपि भी है, जिसे ‘तोलंग सिकी’ नाम से जाना जाता है। ये भाषा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही थी, जिसे बचाने के लिए इस समुदाय ने अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया है। इस स्कूल को शुरु करने वाले अरविन्द उरांव कहते हैं कि आदिवासी बच्चों को अंग्रेजी भाषा में दिक्कत आती थी इसलिए उन्होंने गांव के बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाना शुरू कर दिया। उनके इस प्रयास से बेहतर परिणाम मिलने लगे तो गांव वाले भी उनके साथ जुड़ गए। अपनी भाषा में पढ़ाई की वजह से बच्चों के सीखने की गति भी तेज हो गई। हमारे देश में कई बच्चे भाषा की मुश्किलों की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे। ऐसी परेशानियों को दूर करने में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी मदद मिल रही है। हमारा प्रयास है कि भाषा, किसी भी बच्चे की शिक्षा और प्रगति में बाधा नहीं बननी चाहिए।