रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद झारखंड बीजेपी के नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है। तीन दिसंबर को केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर समीक्षा करेगी। प्रदेश बीजेपी के सभी बड़े नेता इस बैठक में शामिल होंगे।
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विधानसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष समेत कई बड़े नेताओं की करारी हार हुई है। 2019 के मुकाबले बीजेपी विधायकों की संख्या 2014 में कम हो गई है। इस चुनाव में 21 विधायक निर्वाचित हुए है जबकि 2019 के चुनाव में बीजेपी के 25 विधायक जीतकर आये थे। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हेमंता बिस्व सरमा की पहल पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को बीजेपी में शामिल कराया गया था, लेकिन चंपाई सोरेन भी कोल्हान में जेएमएम के गढ़ में सेंधमारी नहीं कर सके। चंपाई सोरेन तो खुद चुनाव जीत गए लेकिन उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला सीट से बुरी तरह से चुनाव हार गये। यही नहीं जेएमएम और कांग्रेस से आई सीता सोरेन और गीता कोड़ा लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में हार गई। बीजेपी की ओर से किये गए तमाम कोशिश हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के आगे बेदम नजर आये। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा भी पोटका से चुनाव हार गई।
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2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन से नाराज पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत प्रदेश के बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया है। इस बैठक में पार्टी की ओर से विधायक दल के नेता यानि नेता प्रतिपक्ष को लेकर भी कोई फैसला लिया जा सकता है। 2019 के चुनाव में भी बीजेपी को झारखंड में हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव हार गये थे इसके बाद बाबूलाल मरांडी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने बीजेपी में शामिल कराया गया था और उनके नेतृत्व में ही 2024 का चुनाव लड़ने की बातें कही गई थी। लेकिन तकनीकी कारणों से बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष नहीं बन सके तो उन्हे पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ये संदेश दिया गया कि बाबूलाल ही 2024 के चुनाव में पार्टी के चेहरे होंगे, नेता प्रतिपक्ष के रूप में अमर बाउरी को नई जिम्मेदारी दी गई, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को जेएमएम से बीजेपी में शामिल कराया गया कि वो कोल्हान में बीजेपी को जीत दिलाएंगे यही नहीं संथाल में भी वो आदिवासी वोटरों को बीजेपी की तरह खींचकर लाएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका और कोल्हान-संथाल को मिला दे तो 2019 की तरह 2024 में भी एनडीए को कोल्हान और संथाल में सिर्फ चार सीटें मिल सकी। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व 2029 के प्लान को देखते हुए किसे विधायक दल का नेता बनाएगी ये सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।