गिरिडीह: झारखंड मुक्ति मोर्चा से दशकों तक जुड़े रहे और झारखंड आंदोलनकारी उमेश महतो की मौत हो गई है। मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के धनयडीह गांव स्थित डोभा से उनकी लाश को बरामद किया गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है।
ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ‘छुप’ कर ली हिमानी से शादी, कानों-कान नहीं हुई ख़बर, हनीमून के लिए पहुंचे इस देश
इस घटना को लेकर मृतक उमेश महतो के बेटे रविंद्र प्रसाद वर्मा ने अपने पिता की आशंका जताई है। उनका आरोप है कि उनके पिता की जमीन को लेकर कुछ लोगों से विवाद चल रहा था। उन्होने कहा कि वो अपनी गाड़ी से सुल्तानगंज गए हुए थे, इसी बीच रिश्तेदार ने खबर दी कि पिता जी की लाश डोभा में मिली है।
प्रवीण प्रभाकर की सुदेश महतो ने कराई AJSU में घर वापसी, सांसद और विधायक मिलन समारोह में नहीं पहुंचे
रविंद्र ने आगे बताया कि उनके पिता झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व प्रखंड प्रमुख और सरपंच भी रह चुके है। झारखंड अलग राज्य बने इसको लेकर जो आंदोलन हुआ उसमें भी वे शामिल रहे है। 2019 का चुनाव गिरिडीह प्रखंड पश्चिम भाग में उनके पिता के ही नेतृत्व में लड़ा गया था।
सिमडेगा में बेकाबू हाइवा ने चार लोगों को कुचला, तीन की मौके पर हुई मौत
जेएमएम नेता लेखो मंडल ने कहा कि मृतक के शव को डोभा से निकाला गया तो उनके मुंह-नाक-आंख से खून निकल रही थी और गर्दन में मफलर कसा हुआ था। मृतक के भतीजा प्रमोद कुमार कहते हैं दोपहर 12 बजे उमेश महतो घर से निकले थे। इस बीच खबर मिली की उनकी लाश डोभा में है। वे पहुंचे और उमेश के पुत्र रविंद्र को सूचना दी। सूचना पुलिस को दी गई और फिर शव को निकाला गया। कहा कि उन्हें लगता है कि उमेश को मारा गया है।कहा कि उनके चाचा पिछले तीस वर्ष से इस तरफ शौच को जाते ही नहीं थे।