रांचीः पेयजल और स्वच्छता विभाग में हुए घोटाले पर पर्दा डालने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाये गये। सरकार द्वारा गठित जांच कमेटी ने लगभग 20 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला पकड़ा है। लेकिन जांच कमेटी ने बड़े घोटाले की ओर इशारा किया है। ट्रेजरी से आवंटन रजिस्टर गायब है, वित्त विभाग की जांच कमेटी ने बार-बार कोषागार से स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल रांची के दो डीडीओ कोड का आवंटन पंजी मांगी लेकिन नहीं मिली।
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जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि आवंटन पंजी कोषागर से सुनियोजित साजिश के तहत गायब की गयी है। यह एक बड़े घोटले की ओर इशारा करता है। जांच कमेटी की इस गंभीर टिप्पणी से साफ है कि अगर जांच का दायरा बढ़ा, तो करोड़ों रुपये के गबन के मामले सामने आयेंगे। वित्त विभाग की जांच कमेटी ने केवल एक शीर्ष में बरती गयी अनियमितता पकड़ी है, तो मामला 20 करोड़ तक पहुंच गया। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान साक्ष्य मिटाने की कोशिश हुई है। डीडीओ कोड आरएनसीडब्ल्यू 017 और आरएनसीडब्ल्यू 001 दोनों ही सक्रिय थे। अधिकांश निकासी इसी कोड से हुई है। कोषागार ने गलत तरीके से फंड क्रिएट किया और लूट हुई है। इसी डीडीओ कोड का आवंटन पंजी तांच टीम मांगती रही।
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जांच टीम ने 30 बिंदुओं पर सरकार को भेजी अनुशंसा
सरकार द्वारा गठित जांच टीम में कोषागार पदाधिकारी पुरूषोत्तम झा, अंकेक्षण निदेशालय के उप लेखा नियंत्रक नरेश झा, कोषागार व सांस्थिक वित्त निदेशालय के अवर सचिव सह सहायक निदेशक सुरेंद्र कुमार सुमन, आइटी के वरीय निदेशक ओमेश प्रसाद सिन्हा, वित्त विभाग की उप सचिव ज्याति कुमारी झा, पेयजल व स्वच्छता विभाग के संयुक्त सचिव श्यामानंद झा और कोषागार व सांस्थिक वित्त निदेशालय के अपर सचिव सह निदेशक अनिरूद्ध कुमार सिन्हा शामिल थे। इस जांच ने 30 बिंदुओं पर सरकार को अपनी अनुशंसा भेजी है।
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निलंबित रोकड़पाल संतोष कुमार ने डीडीओ कोड आरएनसीडब्ल्यू 017 से 2022-23 और 2023-24 में कुल 63 चेक के जरिये करीब 20 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की। संतोष ने यह पैसे अपने खाते में डाले। विभाग को भेजे गये स्पष्टीकरण में उसने साफ लिखा है कि इस पैसे की बंदरबांट पेयजल और कोषागर के अधिकारियों के बीच हुई।
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जांच कमेटी ने कहा कि फर्जी तरीके से 65 करोड़ रुपये का फंड क्रिएट करना ही पूरे मामले की जड़ में है। इसमें कोषागार पदाधिकारी सुनील कुमार और लिपिक शैलेंद्र कुमार सिंह की भूमिका रही। इसी फंड से लगभग 20 करोड़ की अवैध निकासी हुई। शैलेंद्र कुमार की विभाग में तूती बोलती थी। वह 2018-19 से ही कोषागार में विपत्र लिपिक के रूप में पदस्थापित था। स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता कार्यालय के विपत्रों की जांच करता था। पूरे खेल में कोषागार पदाधिकारी के साथ मिलकर खेल करता रहा।