रांचीः हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन झारखंड के सबसे बड़े बैंक लूटकांड में बरी हो गये है। बहुचर्चित आईसीआईसीआई बैंक लूटकांड मामले में कोर्ट ने कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। रांची के तमाड़ में 2008 में आईसीआईसीआई बैंक के कैश वैन से 5.17 करोड़ कैश और डेढ़ किलो सोना की लूट हुई थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 6 गवाहों की गवाही दर्ज कराई थी लेकिन आरोप को सिद्ध नहीं कर पाया। सभी गवाहों ने पहचानने से इंकार कर दिया।
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झारखंड का दुर्दांत नक्सली कुंदन पाहन ने 2017 में सरेंडर कर दिया था और उस समय से वो जेल में ही बंद है। इससे पहले 2009 में हुए रांची के नामकुम में गरूढ़पीढ़ी जंगल में मुठभेड़ मामले में उसे सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया था। इस मामले में तीन गवाह सूचक नागेश्वर रजक, इंस्पेक्टर कौशलेंद्र कुमार झा और छापेमारी दल में शामिल कार्तिक उरांव कोर्ट में गवाही के दौरान कुंदन पाहन को पहचान नहीं पाये। कुंदन पाहन पर 128 मामले दर्ज है।कुंदन पाहन पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की हत्या समेत खूंटी जिले में 50, रांची में 42, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 और गुमला में एक मामला दर्ज हैं। 9 जुलाई 2008 को तत्कालीन मंत्री और वर्तमान में तमाड़ से जेएमएम विधायक विकास मुंडा के पिता रमेश सिंह मुंडा की बंडू में कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर भी कुंदन पाहन के साथ आरोपी रहे है। 4 मार्च 2007 को जेएमएम सांसद सुनील महतो की हत्या कर दी गई इस मामले में भी कुंदन पाहन आरोपी है। इसके साथ ही 30 जून 2008 को लैंडलाइन विस्फोट कर डीएसपी प्रमोद कुमार समेत छह पुलिसकर्मी की हत्या, 6 अक्टूबर 2009 को रांची-टाटा हाइवे पर स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या में भी कुंदन पाहन आरोपी है।2019 में कुंदन पाहन ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल किया था लेकिन एनआईए कोर्ट से इजाजत नहीं मिलने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सका।
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उस समय के सबसे बड़े लूटकांड को अंजाम देने के आरोपी कुंदन पाहन और उसके दस्ते पर 21 मई 2008 को आईसीआईसीआई कैश वैन को लूटने का आरोप था। तमाड़ थाना क्षेत्र के सलगाडीह मोड़ के पास सुप्रिया ढ़ाबा के निकट नक्सलियों ने बैंक के कैश वैन को लूट लिया था। 2017 में जब कुंदन ने झारखंड सरकार के आत्मसर्पण नीति के तहत सरेंडर किया उस समय के मीडिया रिपोट्स में कुंदन पाहन के हवाले से बैंक लूटकांड का कबूलनामा पेश किया गया था।
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मीडिया रिपोट्स के अनुसार कुंदन ने कहा था कि उसने आईसीआईसीआई बैंक के कैश वैन को लूटा था। इसकी योजना आशुतोष, विपुलदा और संदीप दा ने तैयार की थी। इस एक्शन टीम में डेविड उर्फ बलराम उर्फ बोलो, किशोर गंझू, पंकज, अनिल अहिर, भीम लोहरा, विपुलदा और संदीप भी थे। लूटी गई रकम को ढोनेवाली टीम ने प्रमिला, उर्मिला और भारती शामिल थी। सभी बारीगढ़ा के रहनेवाले थे। इसमें जन मलेशिया के सदस्य भी शामिल थे। कैश वैन के साथ सभी रायदा गांव आए। कैश वैन में सात बॉक्स थे। उनमें तीन में पैसा था, जिसे पिंडिंगबुरू जंगल ले जाया गया। वहीं लूट के रुपये गिने गये। इसमें पांच करोड़ 17 या 18 लाख रुपए, सोना एक किलो छह सौ या आठ सौ ग्राम था। पूरे पैसे बिपुल दा और संदीप को दे दिए गये। कुंदन ने आगे बताया, उसमें से दो करोड़ 78 लाख और दो पैकेट सोना उसे दिया गया। उसने अड़की के हरि मुंडा को एक करोड़ 78 लाख रुपये और दो पैकेट सोना और जोजोहातू के शंकर महतो को एक करोड़ रखने को दिया। बाकी पैसा नक्सलियों के दूसरे साथी बिपुल और संदीप लेकर चले गये।कुछ दिन बाद हरि मुंडा बिपुल और संदीप को 10 लाख वापस कर दिया था। वह अपने गांव बुंडू, टाटीसिलवे और रांची में घर बनाया है। उसने दो ट्रैक्टर, तीन हाइवा खरीदे। इसके अलावा कई छोटी गाड़ियां खरीदी।