Delhi: देश में साइबर फ्रॉड में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इससे लोगों को कई बार भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है। इसे देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में सभी सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों के साथ समीक्षा बैठक में उन्हें साइबर फ्रॉड जैसे जोखिम को कवर करने वाले उत्पाद लॉन्च करने का निर्देश दिया।
वर्ष 2024 में देश में इंश्योरेंस फ्रॉड की वजह से लोगों को 1.77 अरब रुपए का नुकसान हुआ है जो पूर्व के वर्ष के मुकाबले दोगुना है। वित्त मंत्री ने इन कंपनियों से कहा कि इंश्योरेंस के क्षेत्र में ग्राहकों की जरूरतें भी बदल रही है और उसे ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस कंपनियों को नए-नए उत्पाद बाजार में लॉन्च करने चाहिए।
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ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत हो निपटारा
उन्होंने इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के सस्ते उत्पादों को लॉन्च करने व ग्राहकों की सेवा को आसान बनाने के लिए पूरी तरह से डिजिटल बदलाव लाने के लिए कहा। वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनियों को अपने सारे फैसले ग्राहकों को ध्यान में रखकर करना चाहिए और उनकी शिकायतों के निपटान को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। ग्राहकों की सुविधा के लिए सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों को सोशल मीडिया से जुड़ने की जरूरत के साथ ग्राहकों से जुड़े अन्य चीजों को भी आसान बनाने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि तय समय में इस प्रकार के बदलाव लाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने इंश्योरेंस उत्पाद के मूल्यों को तार्किक बनाने के साथ दावे के मॉडल को अधिक सक्षम बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का भी निर्देश दिया।
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क्यों होने लगी इस बदलाव की मांग?
इस प्रकार के बदलाव की जरूरत इसलिए भी महसूस की जा रही है क्योंकि पिछले कुछ सालों में सरकार की तरफ से लिए गए प्रयास की बदौलत जनरल इंश्योरेंस की पैठ में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन अब भी यह वैश्विक औसत से काफी कम है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक भारत में जनरल इंश्योरेंस की पैठ जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर है, जबकि वैश्विक स्तर पर जनरल इंश्योरेंस की पैठ का औसत जीडीपी का 4.2 प्रतिशत है। पिछले पांच सालों में देश में इंश्योरेंस प्रति व्यक्ति इंश्योरेंस प्रीमियम 19 डॉलर से बढ़कर 25 डॉलर तक चला गया है।
सरकारी कंपनियों की तरफ से वसूले जाने वाले इंश्योरेंस प्रीमियम में भी इजाफा हुआ है। वर्ष 2019 में यह 80,000 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 1.06 लाख करोड़ तक पहुंच गया। सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों का हेल्थ इंश्योरेंस दावे का अनुपात निजी कंपनियों के मुकाबले अधिक है।
हालांकि कोरोना काल की तुलना में इस अनुपात में कमी आई है। वर्ष 2021 में सरकारी कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस दावे का अनुपात 126 प्रतिशत तो निजी कंपनियों का 105 प्रतिशत था जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर क्रमश: 103 प्रतिशत और 89 प्रतिशत रह गया।
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