रांचीः बीजेपी को अलविदा कह पूर्व विधायक कुणाल सारंगी को बहुत अच्छा महसूस हो रहा है । उन्हें जीवन आसान और हल्का लग रहा है । जब वे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी में प्रवक्ता के पद पर थे तब उन्हें कई तरह की बंदिशे लगती थीं । खुद पर दवाब महसूस करते थे । जी हां कुणाल सारंगी ने खुद यह बातें सोशल मीडिया के पोस्ट में कही है कि अब वे आजाद महसूस करने लगे हैं।
बीजेपी के पू्व नेता और बहरागोड़ा से जेएमएम के पूर्व विधायक ने रथ यात्रा के पहले दिन पार्टी को अलविदा कह दिया था । इसके बाद से वे सधे हुए शब्दों के जरिए बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर लिखा कि
अब जीवन बहुत ही आसान और सुविधाजनक लगता है बिना किसी अनावश्यक बोझ के कि जन्मदिन, जन्मदिन वर्षगांठ, या किसी के मृत्यु वर्षगांठ पर उनके साथ कोई जड़ ना होने के कारण प्रतिदिन सुबह उनके लिए अर्ध-हृदय से शुभकामनाएँ भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है, उनके काम में विश्वास ना होने के बावजूद, सिर्फ किसी पार्टी की लाइन या ऊपर से आए निर्देशों के कारण।
Life now seems & feels much easier with NO unnecessary obligations to post half hearted wishes on Birthdays , birthday anniversaries, death anniversaries of people every morning without any organic attachment with them or belief in their work just because of some party line or… pic.twitter.com/4N3fKVakc4
— Kunal Sarangi 🇮🇳 (@KunalSarangi) July 15, 2024
जाहिर है कुणाल सारंगी का बीजेपी में मन नहीं लग रहा था । पार्टी में किसी तरह की जिम्मेदारियां नहीं मिलने और बातों को अनसुना कर देने से नाराज कुणाल सारंगी ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है । अपने मित्र धोनी के जन्म दिन और रथयात्रा के दिन कुणाल सारंगी ने इस्तीफा दे दिया था
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बाबूलाल मरांडी को लिखा था दर्दे दिल
कुणाल सांरगी ने अपने त्यागपत्र में बीजेपी में खुद की स्थिति बताते हुए कहा कि उनकी मांगों को लेकर किसी तरह की सुनवाई नहीं होती । कुणाल सारंगी ने लिखा ‘’इस पत्र के माध्यम से मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूँ। यह निर्णय मैंने गहन चिंतन और आत्ममंथन के उपरांत लिया है।
बीजेपी पर लगाया था आरोप
पिछले कई महीनों से मैं यह महसूस कर रहा हूँ कि कई बार पूर्वी सिंहभूम जिले की बुनियादी समस्याओं से जुड़े विषयों और संचालन के मुद्दों को आपके और अन्य संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बावजूद पार्टी ने किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे के प्रति इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है। ऐसे में मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूँ। मुझे उम्मीद थी कि मेरे द्वारा रखे गए विषयों पर पार्टी ध्यान देगी लेकिन दुःख है कि ऐसा आज तक भी नहीं हो सका है।
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