रांचीः राजधानी रांची का कैफोर्ड हाउस जो कई मुख्यमंत्रियों का आवास रहा है। अब इतिहास के पन्नों में समाहित होने जा रहा है। रांची में मुख्यमंत्री का आवास कौन है ये गिने-चुने लोगों को ही पता होगा। ज्यादातर लोग कांके रोड़ को मुख्यमंत्री आवास कहते है। क्योंकि आज का सीएम हाउस झारखंड निर्माण से पहले कैफोर्ड हाउस के रूप में जाना जाता था। कैफोर्ड हाउस झारखंड के कई मुख्यमंत्रियों का सरकारी आवास रहा है।
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बाबूलाल मरांडी जो झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने वो इसी कैफोर्ड हाउस में रहे। उसके बाद अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और रघुवर दास भी इसी आवास में मुख्यमंत्री के रूप में रहे। रघुवर दास ने इस घर में रहते हुए अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया और मिथक तोड़ने की कोशिश की।
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1853 बंगाल के लेफ्टिनेंट गर्वनर के प्रिंसपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस हाउस की नींव रखी थी। भवन निर्माण होने से पहले ही एलियन का तबादला हो गया और कैफोर्ड ने पद संभाला। उनके पद्भार संभालने के बाद निर्माण कार्य तेजी से हुआ और 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने कमिश्नर सिस्टम को इंप्लीमेंट किया और छोटा को छोटा नागपुर का पहला कमिश्नर बना दिया। वह इस आवास में रहने वाले पहले कमिश्नर बनें। तभी इसे इस भवन का नाम कैफोर्ड हाउस है।
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झारखंड का बिहार से अलग होने के बाद अस्थायी सरकार बनने की वजह से मुख्यमंत्री के चेहरे बदलते रहे और कैफोर्ड हाउस को अशुभ मान लिया गया। 2014 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री बनने से पहले बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इस मिथक को तोड़ने की पहली कोशिश अर्जुन मुंडा ने कि और उन्होने मुख्यमंत्री के आवास रहे कैफोर्ड हाउस में हनुमान मंदिर का निर्माण उस समय कराया जब वो हेलिकाप्टर दुर्घटना में बाल बाल बचे थे।
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हालांकि मुख्यमंत्री आवास में हनुमान मंदिर निर्माण को लेकर भी उस समय कई तरह के विवाद हुए लेकिन अर्जुन मुंडा भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उसके बाद 2014 में रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री बने उन्होने मिथक तोड़ने की दूसरी कोशिश की और उन्होने का कि वो इन सब बातों में यकीन नहीं करते। उन्होने बेसक इस आवास में कुछ वास्तू बदलाव जरूर किये। उन्होने कांके रोड़ वाले गेट से आने जाने की जगह मोरहाबादी वाले गेट का इस्तेमाल किया। उन्होने अपना कार्यकाल जरूर पूरा किया लेकिन दूसरी बार वो मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
13 जुलाई 2013 को जब हेमंत सोरेन पहली बार मुख्यमंत्री बने तो वो उस वक्त भी इस आवास में नहीं रहे, इसकी एक वजह ये भी रही कि उनका आवास मुख्यमंत्री आवास से सटा हुआ है, केवल एक दीवार का फर्क है। हेमंत सोरेन इस आवास का इस्तेमाल जरूर विधायकों के साथ बैठक या अन्य मीटिंग के लिए करते रहे है। 2019 में जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तो उसके बाद भी वो अपने उसी आवास मंें रहे और फिर 2024 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो अपने कांके रोड़ स्थित आवास में रहते है, वो मीटिंग के लिए जरूर कैफोर्ड हाउस का इस्तेमाल करते है। कैफोर्ड हाउस की जगह अब नये भवन का निर्माण होगा। अब देखना है कि नया भवन बनने के बाद भी हेमंत सोरेन उस आवास में शिफ्ट होते है या नहीं।