डेस्कः भारतीय सिविल सेवा में शामिल होना करोड़ों युवाओं का सपना होता है, लेकिन इस सपने को हकीकत में बदलना आसान नहीं। यवतमाल जिले की अदिबा अहमद ने यह कर दिखाया है। अदिबा महाराष्ट्र से सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) पास करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनी हैं, और देशभर में 142वीं रैंक हासिल कर अपने माता-पिता और समुदाय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
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अदिबा के पिता चलात हैं ऑटो
अदिबा का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। उनके पिता किराए का ऑटो चलाते हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। एक छोटे से किराए के घर में रहने वाली अदिबा ने तमाम आर्थिक तंगी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया।
चौथे प्रयास में पाई सफलता
“यह मेरा चौथा प्रयास था। पहले असफल प्रयास के बाद मैं टूट सी गई थी। कई बार लगा कि मैं इस लायक नहीं हूं। लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी,” अदिबा ने भावुक होकर कहा।
मां-पिता ने दिया पूरा साथ
अदिबा बताती हैं कि एक पितृसत्तात्मक समाज में, एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हुए, सिविल सेवा जैसी कठिन परीक्षा पास करना आसान नहीं था। लेकिन उनके माता-पिता ने चट्टान की तरह उनका साथ दिया।
अदिबा बन गईं समाज की पहचान
आज अदिबा सिर्फ अपने परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।