कोल्हापुरः बिरदेव सिद्धप्पा धोणे को 48 घंटे पहले कोई नहीं जानता था । अब हर तरफ उसके चर्चे हैं । दुनिया के सबसे मुश्किल परीक्षाओं में एक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का जब फाइनल रिजल्ट आया तो कोल्हापुर जिले के कागल तहसील के मने गांव में खुशियां करंट की तरह दौड़ी । जिस घर में जो मीठा था उसी को खाकर बिरदेव सिद्धप्पा की कामयाबी का जश्न मनाया ।
चरवाहा हैं बिरदेव सिद्धप्पा धोणे
जी हां! आने वाला बिरदेव बकरियां चराते रहे हैं । उनके पिता, उनके पिता के पिता का भी यही काम था । बकरियां चराना और फिर अपने परिवार का पेट पालना । पीढ़ियों का काम करते-करते बीरदेव सिद्धप्पा ने वो कमाल कर दिया कि अब पीढ़ियां याद करेंगी कि सिविल सर्विस पास करने वाला पहला कौन था।
बकरियां चराते हुए खबर मिली
मने गांव में जैसे ही ये खबर लगी कि उनका बिरदेव सिद्धप्पा ने यूपीएससी क्लियर कर लिया है मानों किसी को यकीन ही नहीं हुआ। छोटे से गांव में ढंग की मिठाई की दुकान तक नहीं थी लिहाजा लोगों ने गुड़ से से ही मुंह मीठा किया । बिरदेव सिद्धप्पा को खुद रिजल्ट की खबर तब लगी जब वो बकरियां चरा रहे थे ।
मां ने लगाया गले, तोहफे में मिली पगड़ी
मां को भी खबर लगी कि बेटे बिरदेव ने सबसे बड़ा एग्जाम पास कर लिया है तो रोने लगी और बेटे को दौड़ते हुए गले लगा लिया । पूरे गांव में बिरदेव सिद्धप्पा का स्वागत किया गया और पकड़ी बांधी गई ।
शुरुआत से ही होनहार थे सिद्धप्पा
बिरदेव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई ‘विद्या मंदिर स्कूल’ और ‘जय महाराष्ट्र हाई स्कूल’, यमगे से की। इसके बाद मुरगुड के ‘शिवराज विद्यालय’ से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। 10वीं कक्षा में 96% और 12वीं में 89% अंक लाकर उन्होंने अपनी मेहनत का लोहा मनवाया। इसके बाद उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित COEP टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
तीसरे प्रयास में UPSC पास किया
इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी का कठिन रास्ता चुना। दिल्ली में रहते हुए आर्थिक तंगी और कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन भारतीय सेना में कार्यरत उनके भाई ने हर कदम पर उनका संबल बना। दो असफल प्रयासों के बाद, 2025 में तीसरे प्रयास में बिरदेव ने अपना सपना साकार कर दिखाया।
मां ने मेमना भेंट किया
22 अप्रैल 2025 को जब UPSC ने CSE 2024 का फाइनल रिजल्ट जारी किया, उस समय बिरदेव बेलगांव के पास भेड़ें और बकरियां चरा रहे थे। दोस्त के फोन से उन्हें इस सफलता की खबर मिली। गांव में यह खबर फैलते ही खुशी की लहर दौड़ गई। पिता सिद्धप्पा ने परंपरागत ‘फेंटा’ पहनाकर बेटे का स्वागत किया, मां बालव्वा ने आरती उतारी और उपहार स्वरूप एक मेमना भेंट किया।
सिद्धारमैया ने फोन पर बधाई दी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी बिरदेव को फोन कर बधाई दी। बेलगांव के एसपी ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर सम्मानित किया। मीडिया से बातचीत में भावुक बिरदेव ने कहा, “अब मेरी अगली मंजिल IPS बनना है।”
आईएएस बनेंगे या आईपीएस
गौरतलब है कि फिलहाल UPSC ने सिर्फ रिजल्ट घोषित किया है। सेवा (IAS/IPS आदि) का आवंटन बाद में होगा, जो रैंक और प्राथमिकता के आधार पर तय किया जाएगा। चाहे IAS बनें या IPS, बिरदेव सिद्धप्पा धोणे की सफलता यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बीच भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।