हाल के दिनों में नीट सहित अन्य परीक्षाओं का प्रश्न पत्र लीक हो गया है। इसको लेकर भारी बवाल भी हुआ है। राज्य सरकारें इससे सख्ती से निपटना चाहती हैं, क्योंकि इसका असर युवाओं को रोजगार देने पर पड़ रहा है। प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा निरस्त हो जाती है, फिर बाद में परीक्षा कराने पर काफी दिक्कत होने लगती है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधली पर लगाम लगाने के लिए बिहार की नीतीश सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है। बिहार सरकार इसे लेकर मंगलवार को विधानसभा में विधेयक लाएगी। इसमें प्रावधान किया गया है कि पेपर लीक या इससे जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल होने वाले इस कानून के तहत दोषी होंगे। उन्हें 10 साल तक सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा। इस कानून के अधीन सभी अपराध संज्ञेय एवं गैरजमानती होंगे। इस बिल को सदन में मंगलवार को चर्चा के लिए पेश किया जाएगा।
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बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को विधायकों के बीच बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक 2024 की प्रतियां बांटी गईं। परीक्षा में कदाचार रोकने को भारत सरकार ने कानून बनाया है। राज्यों से भी इसे पारित करने को लेकर पत्र भेजा है। विधेयक में साफ है कि कानून के अधीन अपराधों में संलिप्त व्यक्ति को न्यूनतम 3 साल की सजा होगी, जो 5 सालों तक की होगी।
अभ्यर्थियों को 3 से 5 साल सजा
अगर कोई अभ्यर्थी नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो उसे तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान नए बिल में किया गया है। परीक्षा में शामिल सेवा प्रदाता अगर कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनके लिए एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान है। परीक्षा की लागत भी सेवा प्रदाता से ही वसूली जाएगी। उसे चार साल के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाएगा।
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संगठित अपराध पर कड़ी सजा
कोई व्यक्ति या समूह जिनके साथ सेवा प्रदाता की मिलीभगत हो तो 5 से 10 वर्ष की सजा और एक करोड़ का जुर्माना लगेगा। संस्था की संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान है। अगर किसी अधिकारी की संलिप्तता पेपर लीक में पाई गई तो उसे 10 साल तक जेल हो सकती है और एक करोड़ तक जुर्माना भी लगेगा। साथ ही अब पेपर लीक की जांच भी डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही मॉनसून सत्र में पेपर लीक पर नया बिल लाने की घोषणा की थी। इस बिल का उद्देश्य लोक परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता लाना है। उन व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से रोकना है, जो अनुचित तरीकों में लिप्त हैं और लोक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।