रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के विस्तार पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। कांके प्रखंड के नगड़ी में रिम्स-2 के लिए अधिग्रहित हो रही जमीन का विरोध शुरू हो गया है। राज्य सरकार की ओर से जमीन मापी के काम का स्थानीय ग्रामीण विरोध कर रहे है। शनिवार को स्थानीय लोगों का समर्थन करने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी नगड़ी पहुंचे।
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रिम्स-2 के लिए अधिग्रहित हो रहे जमीन का निरीक्षण करने पहुंचे बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में खाद्यान की ऐसी ही कमी है। जितनी जरूरत है, उतना यहां उत्पादन नहीं हो रहा है। कृषि योग्य जमीन को बचाना चाहिए। सरकार खेती के लिए एक नंबर जमीन पर रिम्स टू बनाना चाहती है। कोई निर्माण कार्य के लिए बंजर जमीन खोजिए न। इस जमीन के आसपास 5-10 किलोमीटर में जमीन खोजिये, अगर नहीं मिलता है तो हमें बताईये हम आपको बंजर जमीन खोजकर देंगे।
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बाबूलाल ने आगे कहा कि अब यहां के लोग कहां जाएंगे। राज्य बनने के बाद से ही यहां के आदिवासियों को खेत-खलिहान से भगाया जा रहा है, उनके साथ जुल्म हो रहा है। जब बिहार-झारखंड एक साथ था तब भी लोगों ने इस जमीन के अधिग्रहण का विरोध किया था। हम मुख्यमंत्री से हम आग्रह करते है कि यहां के बेरिकेडिंग हटाकर यहां के लोगों को खेती करने दीजिये। नहीं तो आंदोलन होगा, बहुत बड़ा आंदोलन होगा, जरूरत पड़ेगा तो पूरे झारखंड से आदिवासियों को बुलाकर आंदोलन किया जाएगा।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने 110 एकड़ में 1074 करोड़ की लागत से रिम्स-2 बनाने का फैसला लिया है। यहां मरीजों के लिए 700 बेड की सुविधा होगी। साथ ही यूजी की 100 और पीजी की 50 सीटों के लिए पढ़ाई होगी। स्वास्थ्य मंत्री की दलील थी कि रिम्स का भवन बहुत पुराना हो चुका है. इसलिए फेज-2 का निर्माण करना बेहद जरूरी है।