रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शहरी निकाय चुनाव नहीं कराने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने दो सप्ताह में चुनाव कराने का निर्णय लेने का भी निर्देश राज्य सरकार को दिया है। जस्टिस आनंद सेन ने मौखिक आदेश टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार पर कोई अनुचित कार्रवाई होती है तो उसे लोकतंत्र की हत्या सरकार कहती है, चार वर्षो तक निकाय चुनाव नहीं कराना भी लोकतंत्र की हत्या ही है।
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पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को राज्य सरकार को तीन सप्ताह में निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, कहा था कि समय पर चुनाव नहीं कराना और चुनाव को रोकना लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने जैसा है। यह संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत भी है। ट्रिपल टेस्ट की आड़ में समय पर निकाय चुनाव नहीं कराना उचित नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 243 स्पष्ट करता है कि चुनाव समय पर कराना अनिवार्य है।
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वही झारखंड राज्य पिछड़ा आयोग ने उपायुक्तों के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए जनगणना कराने की अनुमति मांगी है। इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार के कार्मिक विभाग को भेजा है। सरकार की अनुमित के बाद जनगणना शुरू होगी। राज्य में 13 नगर निकायों में चुनाव तीन वर्षो से अधिक समय से और शेष सभी निकायों में चुनाव अप्रैल 2024 से लंबित है। चुनाव नहीं होने की वजह से 15वें वित्त आयोग की ओर से मिलने वाली अनुदान से राज्य को वंचित होना पड़ रहा है। 15वें वित्त आयोग में राज्य सरकार का लगभग 1600 करोड़ रूपया अनुदान फंस गया है।