दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हो रहे धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जैसे ही बोलना शुरू किया कांग्रेस समेत विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के नारेबाजी और हंगामे के बीच पीएम ने अपना संबोधन जारी रखा। प्रधानमंत्री नोदी ने कहा कि मै लोगों की पीड़ा समझ सकता हूं, झूठ फैलाने के बाद भी उनकी हार हुई। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारा जीरो टालरेंस रहेंगे। विपक्ष के हंगामे के दौरान लोकसभा अध्यक्ष नेता नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते, ये आपके पद की शोभा नहीं है कि आप हंगामा कर रहे सदस्यों को बेल में आने के लिए इशारे से कह रहे है। मणिपुर मामले पर चर्चा करने की मांग करते हुए विपक्ष के सदस्य लगातार हंगामा कर रहे है। विपक्ष के सदस्य नारा लगा रहे है की मणिपुर को न्याय दो। सोमवार को राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी के मणिपुर नहीं जाने पर सवाल उठाया था।
PM मोदी ने कहा, “कल और आज कई मान्य सदस्यों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। विशेष कर जो पहली बार सांसद बनकर हमारे बीच आए हैं और उनमें से कुछ साथियों ने अपने जो विचार व्यक्त किए, संसद के नियमों का पालन करते हुए किए, उनका व्यवहार ऐसा था जैसे एक अनुभवी सांसद का होता है और इसलिए प्रथम बार आने के बावजूद भी उन्होंने सदन की गरिमा को बढ़ाया है और उन्होंने अपने विचारों से इस परिचर्चा को और अधिक मूल्यवान बनाया है…
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के उन दिनों को याद करेंगे तो हमें ध्यान आएगा कि देश के लोगों का आत्मविश्वास खो चुका था. देश निराशा के सागर में डुबा था. 2014 के पहले देश ने जो सबसे बड़ा नुकसान भुगता था, अमानत खोई थी, वह था आत्मविश्वास. 2014 के पहले यही शब्द सुनाई देते थे- इस देश का कुछ नहीं हो सकता. .ये सात शब्द भारतीयों की निराशा की पहचान बन गए थे. अखबार खोलते थे तो घोटालों की खबरें ही पढ़ने को मिलती थीं. रोज नए घोटाले, घोटाले ही घोटाले. घोटालों की घोटालों से स्पर्धा, घोटालेबाज लोगों के घोटाले., बेशर्मी के साथ ये स्वीकार भी कर लिया जाता था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो 15 पैसे पहुंच पाते थे. भाई-भतीजावाद इतना फैला हुआ था कि सामान्य नौजवान तो आशा छोड़ चुका था कि अगर कोई सिफारिश करने वाला नहीं है तो जिंदगी ऐसे ही चलेगी. ऐसे कालखंड में हमारी सरकार आई थी. 10 साल में हमारी सरकार की कई सिद्धियां हैं. देश निराशा के गर्त से निकला. धीरे-धीरे देश के मन में स्थिर हो गया, जो 2014 से पहले कहते थे कि कुछ नहीं हो सकता. वो आज कहते हैं कि देश में सब संभव है. ये विश्वास जताने का काम हमने किया. आज देश कहने लगा तीव्र गति से 5जी का रोलआउट होना, देश कहने लगा भारत कुछ भी कर सकता है. कोयला घोटाले में बड़े-बड़ों के हाथ काले हो गए थे और आज कोयला प्रोडक्शन बढ़ा है. वो एक समय था 2014 से पहले जब फोन बैंकिंग करके बड़े बड़े घोटाले किए जा रहे थे. पर्सनल प्रॉपर्टी की तरह बैंक का खजाना लूट लिया गया था. 2014 के बाद नीतियों में परिवर्तन का परिणाम है कि दुनिया के अच्छे बैंकों में भारत के बैंकों का स्थान बन गया. 2014 के पहले वह भी एक वक्त था जब आतंकी आकर के जब जहां चाहें, हमला कर सकते थे. निर्दोष लोग मारे जाते थे, कोने-कोने को टारगेट किया जाता था और सरकारें मुंह तक खोलने को तैयार नहीं थीं. 2014 के बाद का हिंदुस्तान घर में घुसकर मारता है, सर्जिकल स्ट्राइक, एयरस्ट्राइक करता है और आतंक के आकाओं को भी सबक सिखाने का सामर्थ्य दिखा दिया है।
पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे एक किस्सा याद आ रहा है… 99 मार्क्स लेकर एक बालक घमंड में घूम रहा था और सबको दिखाता था कि देखो कितने मार्क्स आए हैं।लोग भी 99 सुनकर उसे शाबाशी देते थे और हौंसला बढ़ाते थे। फिर उनके टीचर ने बताया कि ये 100 में से नहीं 543 में से 99 लाया है।कांग्रेस और उसका इकोसिस्टम दिन-रात हिंदुस्तान के नागरिकों के मन में ये प्रस्थापित करने की कोशिश कर रहा है कि उन्होंने हमें हरा दिया है। ऐसा लग रहा है कि आजकल कांग्रेस में छोटे बच्चे का मन बहलाने का काम चल रहा है।