झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सरायकेला में बन रहे खरकई डैम प्रोजेक्ट (Kharkai Dam Project) बंद करने के खिलाफ संतोष कुमार सोनी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से पूछा है कि 6100 करोड़ रुपया खर्च होने के बाद खरकाई डैम प्रोजेक्ट क्यों पूरा नहीं किया जा रहा है।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने कहा कि इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद क्या काम बंद रहेगा। अगर वहां ग्रामीण आंदोलनरत है तो उसके लिए क्या कर रहे हैं। खरकाई डैम प्रोजेक्ट को लेकर अंतिम रूप से सरकार ने क्या निर्णय लिया है।
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अदालत ने इन बिंदुओं पर मुख्य सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले का अगली सुनवाई 14 मई निर्धारित की है। जल संसाधन विभाग की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि जमीन अधिग्रहण पर स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कारण खरकाई डैम प्रोजेक्ट रुका हुआ है।
आंदोलन पर सरकार की नजर थी या नहीं
अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मौखिक कहा कि 6100 करोड़ से अधिक रुपया इस प्रोजेक्ट पर खर्च हो चुका है, इस प्रोजेक्ट के लिए
टेंडर करने से पहले राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट जरूर बनी होगी, क्या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में राज्य सरकार को जमीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों के आंदोलन को लेकर किसी प्रकार का विचार नहीं किया था।
कोर्ट ने कहा- क्या सीबीआई जांच करा दें
अदालत ने मौखिक कहा कि अगर यही स्थिति है तो कोर्ट मामले में सीबीआई को प्रतिवादी बनाकर जांच करवा देती है फिर सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि 6 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करने के बाद खरकई डैम प्रोजेक्ट को वर्ष 2020 में क्यों बंद कर दिया गया था।
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तीन प्रदेशों में हुआ था समझौता
वर्ष 1978 में एकीकृत बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसी के तहत खरकई डैम का निर्माण किया जा रहा था। इस डैम के प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण भी हो चुका है और प्रभावित विस्थापितों
को बसाने के लिए नया जगह भी बन चुका है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए।