डेस्कः हर साल पूर्णिमा की रात होलिका दहन की परंपरा है और चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को होली मनाने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार होलिका दहन में भद्रा का साया रहेगा इसलिए होलिका दहन के मुर्हूत को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है। उसी तरह होली कब मनायी जाएगी इसको लेकर भी भ्रम की स्थित हो गई है। वैदिक पंचाग के अनुसार, 13 मार्च की रात को अगजा और 15 मार्च को होली मनेगी।
होली, ईद और सरहूल को लेकर सीएम हेमंत सोरेन ने की हाईलेवल मीटिंग, शरारती तत्वों से सख्ती से पिपटने का दिया निर्देश
होलिका दहन का शुभ मुर्हू क्या है!
होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है. इसमें भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. भद्रा के साए में होलिका दहन वर्जित है।इस बार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च यानी आज सुबह 10.36 से लेकर 14 मार्च को दोपहर 12.23 तक रहेगी. पूर्णिमा के साथ ही भद्रा काल आरम्भ हो जाएगा। जो रात 11.26 तक रहेगा. इसलिए भद्रा काल से बचते हुए 13 मार्च की रात को 11.27 के बाद होलिका दहन किया जाएगा।
लड़के लड़कियों ने शराब पीकर रांची के कार्निवाल बैंक्वेट हॉल में जमकर किया हंगामा, हुड़दंग को रोकने के लिए तीन थानों की आई पुलिस
होली 14 या 15 मार्च को
वाराणसी और मिथिला पंचाग के अनुसार, इस साल होली 15 मार्च को है, जबकि महावीर और ऋषिकेश पंचाग के अनुसार होली 14 मार्च को है। 13 को होलिका दहन है। 14 मार्च को होली के पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि होलिका दहन के अगले दिन ही होली होती है। मथुरा-काशी समेत कई जगहों पर 14 मार्च को होली मनायी जायेगी। इसीलिए 14 को होली होगी। बांग्ला पंचाग के अनुसार 14 को होली है।
खून की तरह लाल हुआ समंदर का किनारा, वजह जान हैरान रह जाएंगे आप; VIDEO VIRAL
वाराणसी पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को दिन के 11.12 बजे तक पूर्णिया है। पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा है कि होली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष मी प्रतिपदा तिथि को मनायी जाती है। चूंकि 14 मार्च को उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण इस दिनवाली प्रतिपदा तिथि मान्य नहीं है और 15 मार्च को उदयाकालीन प्रतिपदा 12.39 बजे तक होने के कारण होली मान्य है। उन्होने कहा कि 14 मार्च को केवल काशी में होली मनायी जा रही है, अन्य जगहों पर पंचांग के अनुसार, 15 मार्च को होली है।पंडित श्याम सुंदर भारद्वाज ने बताया कि बनारस पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को सर्वत्र होली मनायी जाएगी। उन्होने बताया कि ऋषिकेश और महावीर पंचांग में 14 मार्च को होली मनाने का उल्लेख किया गया है, हालांकि, इस पंचाग में 15 मार्च को रंगोत्सव का जिक्र किया गया है। उन्होने कहा कि कुछ लोग होली की तिथि को लेकर भ्रम फैला रहे है।
ATS इंस्पेक्टर PK की शिकायत पर मुठभेड़ में मारे गये अमन साहू समेत 7 पर केस दर्ज, CID करेगी मामले की जांच
वहीं पंडित कपिलदेव मिश्र ने कहा है कि मिथिला पंचाग के अनुसार, 15 मार्च को होली मनायी जाएगी। उन्होने कहा कि उदयाकालीन प्रतिपदा 15 मार्च को होने के कारण होली इसी दिन मनेगी। 14 मार्च के दिन के 11.22 बजे तक पूर्णिमा है, उसके बाद से प्रतिपदा लग रहा है, जो 15 मार्च को दिन के 12.59 मिनट तक है। इसी दिन होलिका भस्म धारण किया जायेगा और सप्तडोरा बांधा जायेगा। उधर, बंगला पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को होली है। पुरोहित अशोक मुखर्जी ने कहा है कि इसी दिन फगडोल यात्रा निकाली जायेगी और चैत्नय महाप्रभु का जन्मदिन भी मनाते है। साथ ही घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। आचार्य राकेश त्रिवेदी ने बताया कि होली 15 मार्च को है, प्रतिपदा उदया तिथि के अनुसार 15 मार्च को ही होली मनायी जायेगी। 14 मार्च को दिन में प्रतिपदा लग रही है इसलिए उदयमान तिथि के अनुसार होली मनायी जाती है। काशी में पूर्णिमा को होली मनायी जाती है।
वाराणसी मुद्रित ऋषिकेश पंचांग विश्व पंचांग महावीर पंचांग आदि के अनुसार
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि गुरुवार 13 मार्च की प्रातः 10.02 बजे से आरंभ होकर 14 मार्च शुक्रवार दिन में 11.11 बजे तक रहेगी।
13 मार्च को रात्रि 10.37 बजे तक भद्रा काल है। उसके बाद होलिका दहन किया जाएगा।
चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि का आगमन 14 मार्च शुक्रवार को 11.11 बजे से शुरू हो रहा है, जो शनिवार 15 मार्च दिन में 12.48 बजे तक रहेगा।
उदयातिथि में 15 मार्च शनिवार को होली मनाई जाएगी।