पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में एक ओर चिराग पासवान की वजह से एनडीए में सीट शेयरिंग को पेंच फंसा हुआ है। जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच सोशल मीडिया पर कोल्ड वॉर जारी है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में वीआईपी पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन की पेंच फंसा रखी है।
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इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की तस्वीर क्लीयर नहीं होने से दो नये सहयोगी की सांसे अटकी हुई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी को तेजस्वी यादव आरजेडी के कोटे से सीट देने वाले है। मंगलवार को जेएमएम के दो प्रतिनिधि मंत्री सुदीव्य कुमार सोनू और पार्टी के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात कर कम से कम 7 सीटों पर दावेदारी की थी। माना ये जा रहा है कि जेएमएम को आरजेडी दो एसटी सीटें बांका जिले का कटोरिया और कटिहार जिले का मनिहारी सीट दे सकती है। हालांकि मनिहारी सीट कांग्रेस के कोटे में है और वहां से मनोहर प्रसाद सिंह कांग्रेस के विधायक है। कयास ये लगाए जा रहे है कि तेजस्वी जेएमएम को 2 से 3 सीटे देने का मन चुका है। इसमें आरजेडी अपने पसंद के उम्मीदवार को जेएमएम के सिंबल पर चुनाव लड़ा सकती है। चकाई सीट से वर्तमान में नीतीश सरकार के मंत्री सुमित सिंह जेएमएम के सिंबल पर चुनाव जीतकर विधायक बन चुके है इसलिए जेएमएम उस सीट को लेकर भी अड़ी हुई है। जेएमएम ने अपनी ओर से तारापुर, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जामलपुर, पीरपैंती सीट पर भी दावेदारी कर रही है।
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तेजस्वी यादव को पता है कि वो हेमंत सोरेन ने बात कर अंतिम रूप से जेएमएम को कम से कम सीट पर चुनाव लड़ने को तैयार कर लेगी। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस मुख्य रूप से अपने बेटे यशराज पासवान उर्फ मुस्कान और भतीजा प्रिंस राज की सीट को लेकर ज्यादा चिंतित है। गठबंधन में उनकी क्या भूमिका होगी इस पर लालू यादव ही अंतिम फैसला करेंगे। वो इंडिया गठबंधन में सम्मानजनक सीटें चाहते है, खुलेतौर पर सीट की संख्या को लेकर उनकी कोई दावेदारी नहीं है। हालांकि उन्होंने ये बातें जरूर कही है कि चिराग पासवान के उम्मीदवार के खिलाफ वो अपने उम्मीदवार जरूर देंगे। तेजस्वी यादव भी चाहते है कि पासवान वोट में पशुपति पारस सेंधमारी करें जिससे कि एनडीए को ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके। लेकिन पारस और हेमंत के सीटों की संख्या का एलान करने या अंतिम सहमति बनाने के बीच मुकेश सहनी सबसे बड़ी बाधा बनकर डटे हुए है।
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मुकेश सहनी अपनी पार्टी वीआईपी के लिए कम से कम 40 सीट चाहते है, वो भी मिथिलांचल और तिरूहुत प्रमंडल में खासतौर पर। तेजस्वी यादव किसी भी कीमत पर मुकेश सहनी को 20 सीट के आसपास समेटना चाहते है ताकि हेमंत सोरेन और पशुपति पारस की पार्टी को कुछ सीटें दी जा सके। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने भी तेजस्वी यादव के टेंशन को बढ़ा दिया है। बुधवार को बिहार कांग्रेस की मुख्य चुनाव समिति ने बैठक कर 25 उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी। कांग्रेस 60 कम से कम 60 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन आरजेडी उसे किसी भी कीमत पर 50 के आसपास समेटना चाहती है। वो 2020 विधानसभा चुनाव वाली गलती नहीं करना चाह रही है, इसलिए कांग्रेस को कह रही है कि वो अपने उम्मीदवार को दिखाये। मंगलवार रात हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के नेता के बीच थोड़ी सी नोंकझोंक जैसी स्थिति भी बनी। कांग्रेस और मुकेश सहनी के दवाब देने की वजह से बुधवार को भी सीट शेयरिंग का एलान नहीं हो सका। हालांकि पशुपति पारस का कहना है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है 10 अक्टूबर से पहले सीट शेयरिंग का एलान हो जाएगा और सभी आठ दलों को सम्मानजनक सीटें दी जाएगी।





