झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा उलटेफर हो सकता है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर अटकलों का दौर जारी है। अब उनपर कांग्रेस विधायक और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भितरघात करने का आरोप लगाया है। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोमवार को दिल्ली में एक टीवी चैनल से कहा कि उन्हें ‘किसी से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।’ यह बात और है कि उन्होंने इससे एक दिन पहले ही कहा था कि वह ‘एक नया अध्याय शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं और सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं।’
चंपाई ने कहा, ‘अगर कोई साथ आता है, तो यह अच्छा है। अगर मैं सफल नहीं होता हूं, तो मुझे रिटायरमेंट लेने में कोई आपत्ति नहीं है। मैंने अपने खुले पत्र (ओपन लेटर) में अपने विकल्पों के बारे में पहले ही स्पष्ट कर दिया है।’ वहीं झारखंड में झामुमो को एकजुट रखने के प्रयास जारी हैं, ऐसी अटकलें हैं कि बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा और बोरियो से पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम दिल्ली में हैं और चंपई के संपर्क में हैं। चंपाई द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने के 24 घंटे बाद भी सीएम हेमंत सोरेन या झामुमो ने नाराज विधायक से संपर्क नहीं किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, लिंडा और हेम्ब्रम के दिल्ली में अपनी संभावनाओं का आकलन करने के लिए मौजूद होने की अटकले हैं। दोनों विधायकों ने ही पार्टी से बगावत करके लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। झामुमो ने लोबिन के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू की और उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया, जबकि बिशुनपुर विधायक को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
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झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में, जिसकी संख्या चार विधायकों के लोकसभा जाने, एक के त्यागपत्र देने और दो के अयोग्य घोषित किये जाने के बाद घटकर 74 रह गई है, सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुमत का 37 का आंकड़ा पार करने के लिए 38 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 45 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार सुरक्षित है। कोल्हान क्षेत्र के पार्टी विधायकों ने जोर देकर कहा कि वे पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ हैं और चंपाई के साथ नहीं जाएंगे।