रांचीः बजट सत्र के तेरहवें दिन विधानसभा में बीजेपी विधायक ने एक अजीबोगरीब हरकत की जिससे विधानसभा अध्यक्ष नाराज हो गये। सदन के अंदर भरी स्पीकर के सामने बीजेपी विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने पेपर फाड़ दिया। मामला इतना बढ़ गया है कि नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी और संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर को बीच बचाव करके मामला शांत करना पड़ा।
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दरअसल, पांकी से बीजेपी विधायक कुशवाहा शशि भूषण मेहता विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सूचना पढ़ रहे थे इसी दौरान वो कुछ देर के लिए रूक गये, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने विधायक को कहा कि आपका प्रश्न ले लिया गया है आप बैठ जाईये। इसके बाद विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने कहा कि बेकार ही यहां 12 बजे से आकर बैठते है कुछ पढ़ने का वक्त ही नहीं दिया जाता।
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इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक को कहा कि आपसे पहले 18 सदस्य पढ़ चुके है किसी ने ऐसा नहीं बोला, फिर उन्होने कहा कि ठीक है आप अपनी बात कहिये, ये कहते हुए विधायक को अध्यक्ष ने फिर से मौका दिया। फिर विधायक ने कहा कि आप एक मिनट बोलने का मौका नहीं देते, फिर अध्यक्ष ने कहा कि आपको आसन पर जो आक्षेप लगाना है लगाईये आप फिर से पढ़िये। अध्यक्ष के इतना कहने पर विधायक नाराज हो गये और प्रश्नकाल के लिए लाये के प्रश्न के पेज को फाड़ दिया। विधायक का ये रवैया देख विधानसभा अध्यक्ष नाराज हो गये और उन्होने कहा कि ये आचरण अच्छा नहीं है,आसन के सामने कागज फाड़ना अच्छा आचरण नहीं है। आसन के सामने कागज फाड़ना ठीक नहीं है आपको तो फिर से पढ़ने के लिए बोला गया।
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इसके बाद भी विधायक कुशवाहा शशिभूषण के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है और अध्यक्ष के कहने के बावजूद वो प्रश्न पढ़ने नहीं उठे और कहा कि वो नहीं पढ़ेंगे। विधायक के इस व्यवहार से आहत विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से कहा कि आसन का क्या कसूर था आप ही बता दीजिये। फिर बाबूलाल मरांडी खड़े हुए और उन्होने अपने विधायक को चुप कराते हुए कहा कि थोड़ी सी गलती हो गई, ये थोड़ा सा पढ़ते-पढ़ते रूक गये थे जो हम टीवी पर देख रहे थे। आपने उस समय नहीं देखे होंगे इसलिए आपको लगा होगा कि समाप्त हो गया। इसलिए गलती इनकी भी नहीं है और आपकी भी नहीं है, कभी-कभी थोड़ा ऐसा होता है।
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फिर संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर खड़े हुए और उन्होने कहा कि हम सभी मानते है कि आसन सभी सदस्य के लिए निष्पक्षतापूर्वक काम करता है व्यवहार करता है। मनानीय सदस्य कुशवाहा शशिभूषण जी विपक्ष से अकेले प्रश्न पढ़ने वाले सदस्य नहीं है। अन्य माननीय सदस्यों ने भी सूचनाएं पढ़ी है। उन्हे कोई आपत्ति नहीं हुई, अगर आप शून्यकाल के नियमों को देखे तो उसमें अंकित है कि 50 शब्द से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद भी आसन पूरी बात कहने के लिए सदस्यों को छूट देता है। ये आक्रोश आपने जो प्रदर्शित किया है। ये जो सूचना आप पढ़ रहे थे उसे आपने जो सदन के अंदर फाड़ा ये दुर्भाग्यपूर्ण है, इस तरह का आचरण सत्ता-पक्ष और विपक्ष नहीं करें।