रांचीः पेयजल विभाग के खाते से 23 करोड़ रुपए की फर्जी निकासी के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी है। रांची सदर थाने में पेयजल विभाग द्वारा दर्ज कराए गए केस 562/ 23 को एसीबी ने टेकओवर कर लिया है। जांच की जिम्मेदारी डीएसपी रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गई है। सोमवार या मंगलवार को डीजीपी सह एसीबी चीफ अनुराग गुप्ता इस मामले की समीक्षा कर सकते है। समीक्षा के बाद जांच और साक्ष्य संकलन की दिशा में कार्रवाई की जायेगी।
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इस मामले में एसीबी ने वित्त विभाग से रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें विभागीय इंजीनियरों, कोषागार अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सरकारी धन की हेराफेरी उजागर होने के साथ ही सरकारी कर्मियों की संलिप्तता सामने आयी है। सदर पुलिस ने इस केस में 9 अप्रैल 2024 को पेयजल विभाग के रोकड़पाल संतोष कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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इसे ही देखते हुए रांची के डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने एसीबी जांच की अनुशंसा की थी। एसीबी ने जांच के लिए विभाग से कई दस्तावेज भी हासिल कर लिये है। अभी तक की जांच में खुलासा हुआ है कि विभाग द्वारा कंपनी को किये जानेवाले भुगतान की राशि संतोष ने अपने एकाउंट में रख ली थी। विभागीय स्पष्टीकरण के दौरान संतोष ने बताया कि इस धनराशि से कार्यपालक अभियंता सहित वरिष्ठ अधिकारियों को महंगे उपहार दिये गये थे। इसमें जेवरात, लैपटॉप और मैकबुक शामिल थे। वित्त विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि एलएंडटी के नाम पांच फर्जी एकाउंट खोले गये थे। साथ ही पैसे के भुगतान के नाम पर मृतक कर्मी के नाम पर पेआइडी खोला गया था। लगभग 59 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के लिए दूसरा फंड कोषागार में शिफ्ट कर दिया गया था। वित्त विभाग की जांच के दौरान इस पूरे प्रकरण में कोषागार की भी भूमिका सामने आयी है। अबतक इस मामले में कोषागार के चार अधिकारी निलंबित हो चुके है।