इन दिनों रिल्स और शॉर्ट्स में एक गाना और गायिका वायरल है । गाने के बोल हैं “आनन ता पद चाये । अगर आपके मोबाइल फोन तक ये सॉन्ग नहीं पहुंचा तो हैरानी की बात मानी जाएगी । भारत में इस सॉन्ग को लेकर मजाक बन रहा है लेकिन लोग थिरक भी रहे हैं। आखिर कौन है ये सिंगर और इस गाने का क्या अर्थ है इसे लेकर अभी तक कम ही जानकारी भारत के लोगों को है ।
सिल्वी कुमालासरी ने मचाया धूम
गायिका का नाम है सिल्वी कुमालासरी । इंडोनेशिया के जावा की इस गायिका के इस गीत को करोड़ों लोगों ने सुना है । दुनिया भर के लोग इसे पसंद कर रहे हैं और गीत का आनंद लेते हुए नज़र आ रहे हैं । मगर हमारे यहां के क्रिएटिविटी चोर इसे गाने को सुन भी रहे हैं भद्दे मजाक भी बनाते हुए दिख रहे हैं ।
एआई के ज़रिए इसका इंडोनेसियन सॉन्ग का जो अर्थ है वो इस तरह है
(कोरस)
आनन ता पद चाये
अपद ती ते तेना
अपद ती या
अपद ती ते टेकू
अपद ती तो
अपद ती कुद कुद कुद
अपद चा ये
(मुख्य गीत)
प्यारे, तुम कहां हो?
बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई
और मैं कोशिश कर रहा हूँ
जब हम दूर हैं
क्या मुझे तुम्हारी ओर भागना चाहिए, प्रिय?
मेरा दिल इस तरह अकेला नहीं रह सकता
यहां अकेले, उदासी में क़ैद
आओ प्रिये, मुझे किडनैप कर लो
मैं घर में बोर हो गया हूँ, बस खाली बैठा हूँ
अकेला हूँ, मेरा दिल भी सूना–सूना लगता है
ये बोरियत अब और नहीं सही जाती
जल्दी आओ प्रिय, मुझे किडनैप कर लो
मेरा प्यार तुम्हारे बिना अधूरा है
अब मेरा सारा प्यार तुम्हारा ही है
जल्दी आओ, झूठ मत बोलो
इंडोनेशिया के जावानीज गायन शैली को दी पहचान
सोशल मीडिया पर इन दिनों सिल्वी कुमालासारी का नाम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अपनी अनोखी सिंदेन (जावानीज पारंपरिक गायन शैली) कला और मनमोहक सौंदर्य के साथ, उन्होंने लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। उनके द्वारा गाए गए गीतों के कवर अक्सर For You Page (FYP) पर छा जाते हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और अधिक इजाफा हो रहा है।
कौन हैं सिल्वी कुमालासारी?
सिल्वी कुमालासारी का जन्म तुलुंगागुंग, ईस्ट जावा में हुआ था। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है और कई प्रतिभाशाली कलाकारों का जन्मस्थान भी है। अपनी जड़ें जावानीज संस्कृति में गहराई से जुड़ी होने के कारण, उन्होंने सिंदेन के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
साल 2025 में, सिल्वी 28 साल की हो चुकी हैं। अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ–साथ उनकी निजी जिंदगी भी काफी दिलचस्प है। वह शादीशुदा हैं और उनके पति का नाम फैसल बहारुद्दीन ‘सिडुल’ है।
कला और संस्कृति से भरा सफर
बचपन से ही सिल्वी को कला और संस्कृति में गहरी रुचि थी। अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई। खासतौर पर टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके कंटेंट को खूब सराहा जाता है। उनके वीडियो न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि दर्शकों को जावानीज संस्कृति के बारे में भी जागरूक करते हैं।
सिल्वी ने पारंपरिक सिंदेन गायन को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत कर इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर कला को सही मंच मिले तो पारंपरिक संगीत भी डिजिटल युग में अपनी जगह बना सकता है।
सिल्वी कुमालासारी की बढ़ती लोकप्रियता यह दर्शाती है कि जावानीज संगीत की सुंदरता को दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है। वह अपनी कला के जरिए युवा कलाकारों को भी प्रेरित कर रही हैं कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अपनाएं और आगे बढ़ें।