डेस्क: लखनऊ का सीबीआई दफ़्तर । सीसीटीवी फुटेज में तीर धनुष से हमला करता दिनेश मुर्मू और जान बचा कर भागता दारोगा वीरेंद्र.. वीरेंद्र की जान का दुश्मन बना दिनेश मुर्मू । हाथ में तीर-धनुष लिए वो,,, हर हाल में निशाना साधना चाहता। एक तीर दारोगा वीरेंद्र के सीने में धँस चुका है । उसके पास पाँच और बाण है । उसे ना पुलिस की गोली का भय है,,, और ना ही आस-पास मौजूद लोगों का डर ।
दिनेश के निशाने पर दारोगा वीरेंद्र सिंह
उसका निशाना है सीबीआई का दारोग़ा वीरेंद्र । वीरेंद्र भाग रहा है और दिनेश मुर्मू सिर्फ उस पर निशाना साध रहा है। आख़िरकार दारोगा गार्ड के केबिन में छीपने में कामयाब हो जाता है और फिर दूसरा शख्स लाठी से दिनेश मुर्मू पर हमला कर देता है । दिनेश मुर्मू पकड़ा गया ।
सोशल मीडिया पर वायरल है वीडियो
कहानी यहीं खत्म हो गई सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है वीडियो । कोई कह रहा है आज के जमाने में तीर-कमान कौन चलाता है। कोई दिनेश मुर्मू का नक्सली कनेक्शन ढूँढ रहा है । किसी ने सोशल मीडिया पर लिखा लखनऊ में धारा 163 लगी है तो हथियार लेकर कैसे चल रहा था दिनेश मुर्मू।
दिनेश मुर्मू की असली कहानी
मगर सिक्के का दूसरा पहलू भी है और कहानी का फ़्लैशबैक भी । हो सकता है पहली नज़र में ये आम हमला लगे । लेकिन ऐसा है नहीं। ये एक आदिवासी के साथ हुए अन्याय की कहानी है जिसने दिनेश मुर्मू को वो काम करने के लिए मजबूर कर दिया जिसे कोई आदिवासी तभी करता है जब उसके जेहन में उलगुलान की आवाज़ उठती है ।
वीरेंद्र सिंह और दिनेश मुर्मू का क्या है रिश्ता ?
जी हां दिनेश मुर्मू और दारोगा वीरेंद्र की नाता वर्षों पुराना है । लखनऊ की मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक़ दिनेश मुर्मू रेलवे में गैंगमैन का काम करता था । 1995 मे उसने रेलवे के कर्मचारी सीता राम गुप्ता को दो सौ रुपए रिश्वत लेते गिरफ़्तार कराया था । मामला कोर्ट में चला और सीता राम गुप्ता बरी हो गया । दिनेश मुर्मू की नौकरी चली गई । बताया जा रहा है कि इस केस की जाँच दारोगा वीरेंद्र सिंह ही कर रहा था । गैंगमैन दिनेश की नौकरी जाने के बाद नौकरी वापसी की जंग लड़ता रहा ।
नौकरी जाने से हताश था दिनेश मुर्मू
तारीख़ दर तारीख़ और तमाम अदालतों के चक्कर काटने के बाद भी जब नौकरी वापस नहीं मिली तो दिनेश मुर्मू हताश हो गया । वो दारोगा वीरेंद्र सिंह से मिलने की कोशिश करता लेकिन लखनऊ में सीबीआई के दफ़्तर के अंदर उसे जाने नहीं दिया गया । दशकों से नौकरी वापसी के लिए भटक रहा दिनेश मुर्मू इतना परेशान हो चुका था कि उसने दारोगा वीरेंद्र सिंह को सबक सीखाने की ठानी और तीर की धार तेज करने लगा । उसने लखनऊ के हज़रतगंज पुलिस को बताया कि लखनऊ आने के बाद चारबाग स्टेशन पर ही रुका था। वह दरोगा वीरेंद्र को तलाशते हुए सीबीआई दफ्तर गया पर उसे दिखा नहीं। शुक्रवार को दोबारा सीबीआई दफ्तर पहुंचा, जहां वीरेंद्र के नजर आने पर बाण से हमला किया था।
दारोगा पर बाण चलाने का अफसोस नहीं
सीबीआई दफ्तर में दरोगा पर हमला करने वाले दिनेश मुर्मू को अपने किए पर पछतावा नहीं है। हजरतगंज कोतवाली में पूछताछ के दौरान दिनेश ने कहा कि वह दस दिन पहले भी दफ्तर आया था। वीरेंद्र ने अंदर जाने नहीं दिया। धक्का देकर भगाया था। अपमान मुझे बर्दाश्त नहीं होता। सोचा लिया था कि बदला लेना है। दरोगा को सबक सिखा कर रहूंगा। इसलिए धनुष-बाण मैं घर से ही लेकर आया था। मुझे कोई अफसोस नहीं है। दिनेश ने पुलिस को बताया कि मैंने ही सीबीआई को भ्रष्टाचार की सूचना दी थी, पर मुझे ही आरोपित बना दिया गया। नौकरी चली गई। करीब दस दिन से वह बाण के फल पर धार लगा कर उसे नुकीला बना रहा था।
बिहार के मुंगेर का रहने वाला है दिनेश मुर्मू
दिनेश मुर्मू बिहार के मुंगेर के हवेली खड़गपुर के रमनकाबाद पश्चिम पंचायत के रारोडीह का रहने वाला है। शादी के बाद वह अपनी ससुराल हरकुंडा में ही बस गया था। पत्नी रिपिया देवी समेत तीन पुत्र जिनमें 35 वर्षीय प्रदीप मुर्मू, 26 वर्षीय दिव्यांग पुत्र शिवेंदु उर्फ लालू और 15 वर्षीय सूरज मुर्मू और दो पुत्री शारदा और कविता है। जिनमें शारदा की केवल शादी हो गई है। रेलवे से बर्खास्तगी के बाद फटेहाल जीवन जी रहा परिवार: पत्नी रिपिया देवी और दिव्यांग पुत्र शिवेंदु ने बताया कि रेलवे से बर्खास्तगी के बाद दिनेश मुर्मू काफी परेशान रहता था। कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते लगाते वह थक गया था। मामले में दो बार जौनपुर और दिल्ली का तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। परिजनों ने बताया कि दिनेश मुर्मू मुकदमा को लेकर पूरी तरह बर्बाद हो गया, स्थिति ऐसी है कि परिवार का भरण पोषण मुश्किल से हो पा रहा है शायद इसी परेशानी में उन्होंने ये कदम उठाया ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की सजा
ज़ाहिर है दिनेश मुर्मू का ये कदम कहीं ना कहीं उस व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है जिसने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मदद करने वाले को इस हाल तक पहुंचा दिया कि सीबीआई के दारोगा पर हमला करने के लिए मजबूर होना पड़ा ।