डेस्कः इस वक्त की सबसे बड़ी खबर राजनीतिक गलियारों से आ रही है। देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेटर भेज दिया है। इसमें कहा है कि मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे लेटर में उन्होंने आगे लिखा, मैं देश की राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच बने सुखद और अद्भुत कार्य संबंधों के लिए हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। मैं प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।प्रधानमंत्री का समर्थन अमूल्य रहा है. मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा है।धनखड़ का कार्यकाल 2027 जुलाई तक था।
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संसद के मानसून सत्र के पहले दिन जगदीप धनखड़ ने कार्यवाही का संचालन भी किया था। लेकिन सोमवार रात को उन्होने इस्तीफा देकर सबको चौका दिया। राजनीतिक गलियारों में धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद खलबली मच गई है। धनखड़ ने किसान आंदोलन के समर्थन में बयान दिया था। उस समय भी केंद्र सरकार उनके बयान से असहज हुई थी। राजस्थान के रहने वाले धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके है। जाट समाज से आने वाले धनखड़ के इस्तीफा के बाद देश की सियासत में बड़ी भूचाल मच गया है। सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संबोधन के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का जवाब आया जिसके बाद नड्डा ने ये कह दिया था कि संसद की कार्यवाही में वो ही बात शामिल होगी जो वो कहेंगे विपक्ष की बात शामिल नहीं होगी। ये एक तरह से आसन के अपमान के तौर पर देखा गया। इसके ठीक बाद सोमवार को धनखड़ के इस्तीफा ने सियासी गलियारें में लचल मच गई है।
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जगदीप धनखड़ ने 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त, 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से ही पूरी की। इसके बाद स्कॉलरशिप हासिल करके चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ने चले गए। धनखड़ का नेशनल डिफेंस एकेडमी में चयन हो गया था, लेकिन वह नहीं गए।
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जगदीप धनखड़ चौधरी देवीलाल की राजनीति से प्रभावित थे। देवीलाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए। साल 1989 में देवीलाल का 75वां जन्मदिन था। जगदीप धनखड़ राजस्थान से 75 गाड़ियों का काफिला लेकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने दिल्ली पहुंचे थे। इसी साल के अंत में लोकसभा चुनाव हुए। राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले वीपी सिंह ने उनके खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया था। वीपी सिंह के जनता दल ने जगदीप धनखड़ को उनके गृहनगर झुंझुनू से टिकट दे दिया। वीपी सिंह की सरकार बनी। देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने और जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री पद मिला।







