हजारीबागः जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास मंगलवार को हुए एक आईईडी विस्फोट में भारतीय सेना के कैप्टन समेत दो जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस हमले में हजारीबाग के करमजीत सिंह बक्शी उर्फ पुनीत भी शहीद हो गए, जिनकी शादी महज कुछ हफ्तों बाद, 5 अप्रैल को होनी थी। एक जवान घायल भी हुआ, जो अब खतरे से बाहर है।
करमजीत सिंह बक्शी, जिनके पिता अजिंदर सिंह बक्शी और मां नीलू बक्शी हैं, अपने परिवार के बड़े बेटे थे। उनका परिवार हजारीबाग के जुलू पार्क में रहता है और क्वालिटी रेस्टोरेंट चलाता है। अभी कुछ ही दिन पहले वह शादी की तैयारियों के सिलसिले में घर आए थे, जहां उनके घर में खुशियों की चहल-पहल थी, हर कोने में मुस्कुराहट बिखरी हुई थी। पर किसे पता था कि वो मुस्कुराहटें इतनी जल्दी आंसुओं में बदल जाएंगी?
ड्यूटी पर लौटने के बाद, करमजीत सिंह अखनूर में एलओसी पर तैनात थे। गश्त के दौरान आतंकियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट ने उनका जीवन छीन लिया। घायल होने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वे शहीद हो गए। उनके बलिदान की खबर सुनते ही पूरे हजारीबाग में शोक की लहर दौड़ गई। जिन हाथों में उनकी बारात सजाने की तैयारी थी, आज उन्हीं हाथों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई देने की तैयारी शुरू कर दी।
करमजीत की शहादत की खबर ने सिर्फ उनके परिवार को नहीं, बल्कि पूरे शहर को झकझोर दिया। उनकी मां की आंखें अपने बेटे की शादी के सपने संजोए थीं, अब उन्हीं आंखों में आंसुओं का सैलाब है। उनके पिता का सिर गर्व से ऊंचा तो है, लेकिन कंधे बेटे की विदाई के बोझ से झुके हुए हैं। वो बहन, जो अपने भाई की बारात में नाचने की ख्वाहिश लिए बैठी थी, अब उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे।
घटना के वक्त जवान भट्टल इलाके में गश्त कर रहे थे, जब दोपहर तीन बजकर 50 मिनट पर एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ, जिसने दो वीर जवानों को हमसे छीन लिया। ‘व्हाइट नाइट कॉर्प्स’ ने इन वीरों के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “हम अपने शहीदों को नमन करते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।”
आज हर भारतीय का सिर उनके बलिदान के आगे झुका है। करमजीत सिंह बक्शी का नाम हमेशा उन वीर सपूतों में शुमार रहेगा, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने सपनों को कुर्बान कर दिया। उनकी शहादत हमें याद दिलाती है कि हमारी आजादी की कीमत किसी की हंसी-खुशी और किसी के सपनों से चुकाई गई है।
करमजीत, तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। तुम्हारे सपने, तुम्हारी कहानी, तुम्हारी वीरता… ये सब हमें हमेशा प्रेरित करेंगे। भारत तुम्हें कभी नहीं भूलेगा। जय हिंद!