हो ची मिन्ह सिटी – भारत ने विययनाम में महात्मा गौतम बुद्ध की अस्थियां प्रदर्शनी के लिए भेजीं है । हो ची मिन्ह सिटी में ये अस्थियां प्रदर्शित की जाएंगी। वियतनाम के एकीकरण और अमेरिकी सैनिकों की विदाई के पचास वर्ष पूरे होने पर इसे दोनों देशों के रिश्तों के बीच महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है ।

‘फॉल ऑप सैगॉन’
30 अप्रैल 1975 को अमेरिकी सैनिकों को सैगॉन के दूतावास से भागना पड़ा था। इतिहास में इस अमेरिकी की इस हार को सबसे शर्मनाक हार माना जाता है जब इस तरह से दूतावास की छत पर लैडिंग कराके अमेरिकी और उनके समर्थक वियतनामियों को भागना पड़ा था ।

30 अप्रैल वियतनाम युद्ध हुआ था खत्म
वियतनाम अपने एकीकरण की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह ऐतिहासिक दिन उस निर्णायक क्षण की याद दिलाता है, जब 30 अप्रैल 1975 को वियतनाम युद्ध समाप्त हुआ और उत्तरी वियतनाम की सेनाओं ने दक्षिणी राजधानी सैगॉन (अब हो ची मिन्ह सिटी) पर नियंत्रण स्थापित किया। इसी के साथ दशकों से विभाजित देश एक ध्वज, एक सरकार और एक भविष्य के साथ एकजुट हो गया।
जब हेलीकॉप्टप को समुद्र में फेंक दिया गया
वियतनाम के तट पर तैनात अमेरिकी नौसेना के जहाज यूएसएस ब्लू रिज (USS Blue Ridge) पर तैनात नौसैनिकों ने एक हेलीकॉप्टर को समुद्र में धकेल दिया ताकि सैगॉन से आ रहे और अधिक लोगों की निकासी के लिए जगह बनाई जा सके। यह हेलीकॉप्टर उन वियतनामी नागरिकों को लेकर आया था जो उत्तर वियतनामी सेनाओं के सैगॉन पर कब्ज़े के डर से वहां से भाग रहे थे।
यह दृश्य उस ऐतिहासिक समय की याद दिलाता है जब वियतनाम युद्ध अपने अंतिम चरण में था और दक्षिण वियतनाम की राजधानी सैगॉन में अफरा-तफरी मची हुई थी। हजारों लोग किसी भी तरह अमेरिकी जहाजों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, जिससे उन्हें देश छोड़कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
वियतनाम पर 1954 में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के अंत के बाद भी संघर्ष थमा नहीं। देश उत्तर और दक्षिण में बंट गया — उत्तर में साम्यवादी सरकार थी, जबकि दक्षिण अमेरिका समर्थित शासन के अधीन था। इसके बाद करीब दो दशक तक चले वियतनाम युद्ध ने लाखों लोगों की जान ली और देश को तबाह कर दिया।
30 अप्रैल 1975 को “सैगॉन के पतन” के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ और वियतनाम का एकीकरण हुआ, जिसे अब वियतनामी “राष्ट्रीय मुक्ति और एकता का दिन” कहते हैं।

50वीं वर्षगांठ का जश्न:
वियतनाम में इस ऐतिहासिक मौके को भव्यता के साथ मनाया गया। राजधानी हनोई और हो ची मिन्ह सिटी में सैन्य परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी और मशाल यात्राएं आयोजित की गईं। राष्ट्रपति वू वान थोन्ग और प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन ने स्मारक स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन वीरों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने देश की एकता के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।
एकता के बाद का वियतनाम:
पिछले 50 वर्षों में वियतनाम ने युद्ध की राख से उभरकर एक मजबूत और विकासशील राष्ट्र का रूप लिया है। साम्यवादी शासन के अंतर्गत, देश ने 1986 में “डोई मॉय” (सुधार) नीति के तहत आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की। आज वियतनाम दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और वैश्विक व्यापार का अहम हिस्सा बन चुका है।