सिमडेगा : गुमला, सिमडेगा, खूंटी के साथ राज्य के किसानों को समृद्ध बनाने और खेतों को उन्नत बनाने के उद्देश्य से सिमडेगा के अलबर्ट एक्का स्टेडियम में 10 मार्च से तीन दिवसीय पूसा कृषि मेला का उद्घाटन हो रहा है। जिसका शुभारंभ स्थानीय सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा 10 मार्च को करेंगे। हरित क्रांति की जन्म स्थली और देश की अग्रणी कृषि अनुसंधान शिक्षा और प्रसार का संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली द्वारा हर वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाला प्रतिष्ठित पूसा कृषि विज्ञान मेला इस वर्ष 10 से 12 मार्च 2024 के दौरान अल्बर्ट एक्का स्टेडियम सिमडेगा की धरती पर आयोजित होने जा रहा है। इस मेला का उदघाटन केन्द्रीय कृषि एवम किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार, अर्जुन मुंडा, द्वारा किया जाएगा। प्रतिवर्ष लाखों किसान द्वारा पसंद किया जाने वाला ये मेला, जो हर साल तीन दिनों तक नई दिल्ली में आयोजित होता है, इस बार पूर्वी भारत में कृषि क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए झारखंड में किया जा रहा है। मेले के दौरान देश भर से विभिन्न कृषि संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र नवीन तकनीकियों का प्रदर्शन करेंगे। इस मेले की मुख्य विषय “कृषि उद्यमीता– समृद्ध किसान” है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मूल्य संवर्धन और फसल विविधता पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, आधुनिक कृषि और बागवानी की उन्नत तकनीकों को देखने का अवसर मिलेगा जो उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त मेले मे कृषक संगठन, महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्टॉल भी लगाया जाएगा। पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा संगोष्ठी होगी जिससे किसानों को नवीन तकनीकों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली के निदेशक के मार्गदर्शन में यह मेला आयोजित किया जा रहा है। संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ रविंद्र पडारिया ने जानकारी दी कि सिमडेगा की जिला कृषि अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र, आत्मा सहित अन्य विभागों द्वारा इस मेला में सहभागिता होगी। सभी कृषकों से अनुरोध है कि इस मेला में भाग लेकर लाभान्वित हो। तीन दिनों तक चलने वाले इस कृषि मेला में हर दिन 1000 किसानों को ट्रेनिंग देने और उन्हें समृद्ध बनाने के तरीके बताए जाएंगे, इसके लिए आयोजकों के द्वारा किसानों को आने जाने और उनकी सुविधा की हर तरह की व्यवस्था की जा रही है। जिससे सिमडेगा के करीब किसानों को मेला तक आने में किसी तरह की तकलीफ ना हो सके।