रांचीः झारखंड में क्या नया सियासी उठापटक होने वाला है और क्या झारखंड में फिर से मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने वाला है। इन्हीं सवालों के साथ से झारखंड की चाय दुकानों और नुक्कड़ों की मॉर्निंग गॉसिप के साथ ही बुधवार की सुबह हुई । क्या झारखंड में फिर से एक बार कुछ नया होने वाला है और क्या हेमंत सोरेन के हाथों में फिर से सत्ता जाएगी ये ऐसे कई प्रश्न हैं जिसका उत्तर दोपहर तक मिल सकता है ।
चंपाई के कार्यक्रम क्यों हुए रद्द ?
मंगलवार को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के दो प्रखुख कार्यक्रम थे जिन्हें रद्द करना पड़ा । पहला कार्यक्रम था पीजीटी टीचरों को नियुक्ति पत्र का और दुसरा कार्यक्रम था दुमका में कल्याणकारी योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास का । राजनीतिक दृष्टिकोण से दोनों महत्वपूर्ण कार्यक्रम थे और दोनों को रद्द करना पड़ा । नियुक्ति पत्र का मामला तो गड़ब़ड़ियों की आशंका की वजह से रद्द हुआ लेकिन खेलगांव में प्रतिभा सम्मान समारोह में चंपाई सोरेन का नहीं जाना कई कयासों को उत्पन्न कर रहा है । इसी तरह के कयास दुमका में आयोजित समारोह में मौजूदगी नहीं होने से लगाए जा रहे हैं।
हेमंत और चंपाई की दो बार मुलाकात के मायने
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मौजूदा सीएम चंपाई सोरेन ने मंगलवार को दो- दो बार मुलाकात की है । माना जा रहा है कि यह सामान्य मुलाकात नहीं है। एक दिन में दो-दो बार हुई इस मीटिंग और सीएम के कार्यक्रम के रद्द होने की वजह से मामला दिलचस्प होता दिख रहा है । माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन और चंपाई सोरेन के बीच कई ऐसी बातें हुई है जिससे आने वाले दिनों में झारखंड का राजनीतिक भविष्य तय हो सकता है ।
क्यों बुलाई गई है विधायक दल की बैठक ?
बुधवार को दिन के 11 बजे मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है । इस बैठक में कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआईएमल के विधायक भी मौजूद रहेंगे । इसी बैठक की खबर सबसे महत्वपूर्ण है। आमतौर पर विधायक दल की बैठक या तो विधानसभा से पहले या फिर किसी असमान्य राजनीतिक परिस्थितियों में बुलाई जाती है । अब झारखंड में फिलहाल तो ऐसे कोई हालात दिखते नहीं हैं लेकिन माना जा रहा है कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं जिसका झारखंड की मौजूदा सत्ता पर असर पड़ सकता है ।
क्या हेमंत सोरेन फिर से बनेंगे सीएम ?
सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिर से अपनी कुर्सी संभाल सकते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि विधायकों दलों की बैठक और हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों पर हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद हेमंत समर्थक कई विधायक चाहते हैं कि उन्हें फिर से सीएम पद की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए । खुद चंपाई सोरेन ने भोगनडीह में हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में इस बात का ऐलान किया था कि विधानसभा चुनाव हेमंत के चेहरे पर लड़ी जाएगी ।
कल्पना सोरेन की ताजपोशी होगी ?
अब सवाल यह उठता है कि गांडेय विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करने वाली और लोकसभा चुनाव में गठबंधन की कमान संभालने वाली कल्पना सोरेन का क्या राजनीतिक भविष्य होगा । क्या कल्पना सोरेन के सिर झारखंड के मुख्यमंत्री पद का ताज सजेगा या फिर कल्पना सोरेन को दूसरी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है । सूत्रों के मुताबिक पार्टी के विधायक कल्पना को लेकर किसी तरह का विरोध शायद ही करे । विरोध करने वाली सीता सोरेन अब दूसरी पार्टी में है और बसंत सोरेन फिलहाल मंत्री पद पा कर भाई हेमंत सोरेन के कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुई दिख रहे हैं । चंपाई सोरेन का नाम भी झारखंड के मुख्यमंत्री के लिस्ट में दर्ज हो चुका है । ऐसे में इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया ज सकता है कि कल्पना को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी