झारखंड के दुमका में पीएम मोदी ने जिस जल जीवन मिशन घोटाले का जिक्र किया उसकी कहानी बहुत ही हैरान करने वाली है। सरकारी अफसरों की कहााली और झारखंड पेय जल स्वच्छता विभाग की लापरवाही की वजह से पानी का पैसा भी डकार लिया गया । जी हां केंद्र औऱ राज्य सरकार के खजाने से हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए हजारों करोड़ रुपए दिए गए लेकिन बिना काम पूरा किए झारखंड के अफसरों ने पूरा खजाना खाली कर दिया ।
दुमका में पीएम मोदी ने क्या कहा
पीएम मोदी ने झारखंड में जल जीवन मिशन में घोटाले का आरोप लगाया है । दुमका में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने जेएमएम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया । पीएम मोदी ने कहा कि “जेएमएम वालों ने आपकी थाली का राशन लूट लिया है शर्म नहीं आई ये लोग घर में पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन.. अरे गरीबी से गरीब आदमी भी घर के बाहर एक मटका रखता है आने जाने वालों की प्यास बुझाने के लिए । पंक्षियों के लिए छोटे से बर्तन में पानी रखता है ताकि पानी मिल जाए । मैंने हर घर में पानी पहुंचाने का काम चलाया इन्होंने उसमें भी भ्रष्टाचार किया । “
इंजीनियर्स के वेतन निकासी पर रोक
जल जीवन मिशन में घोटाले का आरोप पीएम मोदी यूं ही नहीं लगा रहे उसके पीछे विभाग के ही एक अफसर की चिट्ठी है जिसमें इस घोटाले का जिक्र है । झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चीफ इंजीनियर बृजनंदन कुमार ने PHED के सभी एक्जिक्यूटिव इंजीनियर्स की सैलरी निकासी पर रोक लगा दी है। वेतन रोकने जैसा सख्त कदम यूं ही नहीं उठाया गया है इसके पीछे बड़ी गड़बड़ियां है । एक तो जल जीवन मिशन का कार्य वक्त पर पूरा नहीं हुआ उपर से राशि की निकासी कर ली गई । चीफ इंजीनियर ने 22 मई के पत्रांक 1124 से राज्य के सभी कार्यपालक अभियंता को स्पष्ट किया गया है कि जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस कलस्टर/एसवीएस योजनाओं (फंगसनल हाउस होल्ड टैप वाटर) के पूर्ण होने तक वेतन निकासी पर रोक लगी रहेगी।
जल जीवन मिशान काम पूरा हुआ नहीं, पैसे पूरे निकाल लिए
livedainik.com ने कुछ दिनों पहले ही लातेहार में इसी तरह जल जीवन मिशन के तहत की गई लापरवाही की खबर प्रकाशित की थी। जिसमें पानी या तो घरों तक पहुंचा ही नहीं या फिर लीकेज है या फिर टावर गिरने की शिकायतें थीं। इस योजना को मार्च 2024 तक पूर्ण किया जाना था, ताकि केंद्रांश की पूरी राशि मिल सके। बावजूद समय सीमा समाप्त होने पर भी योजना कार्य आधा-अधूरा है। वहीं दूसरी ओर विभागीय सूत्रों की माने तो राज्य भर में जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस की आधे-अधूरे योजनाओं को कागज पर 90 फीसदी तक पूर्ण दिखाकर राशि की निकासी कर ली गई है। जिसका खुलासा फिजिकल वेरिफिकेश से होगा ।
JJM के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कितनी राशि दी
जल जीवन मिशन द्वारा जो राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई है उसका 92 प्रतिशत काम हो चुका है । सरकार के आँकड़ों के मुताबिक़ झारखंड में जल जीवन मिशन योजना के लिए 4,722.76 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे जिनमें से केंद्र सरकार ने मार्च 2024 तक 2875.35 करोड़ रुपए जारी कर दिए । इस योजना के तहत झारखंड सरकार ने 3427.99 करोड़ रुपए जारी किए । जल जीवन मिशन के लिए कुल 6432 करोड़ रुपए मिले थे जिसमें से 92.25 प्रतिशत राशि खर्च कर दी गई । जल जीवन मिशन के लिए जो राशि खर्च हुई उसमें केंद्र के 3140.70 करोड़ रुपए और राज्य के 3291.53 करोड़ रुपए खर्च हो गए ।
मंत्री तक जा सकती है जांच की आंच?
जाहिर है बड़े पैमाने पर पूरे झारखंड में इस योजना के तहत बंदरबांट करने की आशंका है । अगर सही तरीके से जांच होगी तो बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है और इस मामले की आंच मंत्री तक भी जा सकती है ।