गिरिडीहः धनवार विधानसभा में अमित शाह की रैली चल रही थी और मंच पर निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय मौजूद थे । वही निरंजन राय जो कुछ दिनों पहले तक बाबूलाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए थे वे सरेंडर की मुद्रा में थे । चौबीस घंटे पहले निरंजन राय दावा करते थक नहीं रहे थे कि धनवार की हजारों जनता ने उनके दरवाजे पर आकर चुनाव लड़ने की अपील की थी इसलिए वे चुनाव में खड़े हुए। अब वे चुनाव में खड़े नहीं बैठे हुए हैं । बाबूलाल के ख़िलाफ़ खड़े नहीं बैठ चुके हैं । जी हां अमित शाह ने जैसे ही मंच से निरंजन इधर आओ पुकारा.. निरंजन दौड़े आए । बिल्कुल सरेंडर की मुद्रा में ।
अमित शाह के साथ निरंजन राय
धनवार में आयोजित अमित शाह की रैली में निरंजन राय ने ऐलान कर दिया कि वे पहले भी बीजेपी में थे और अब भी हैं और आगे भी रहेंगे । यानी की इतने दिनों से वे अपनी जाति के वोटर्स में साख बढ़ा रहे थे । बाबूलाल के शैडो कैंपन कर रहे थे । वोटिंग से ठीक चार दिनों पहले उन्होंने पासा पलट दिया । चुनाव में खड़े थे .. अब बैठ चुके हैं।
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बाबूलाल ने राहत की सांस
बाबूलाल मरांडी ने मंच से पार्टी में निरंजन राय का पार्टी में स्वागत किया और कहा कि अब मिल जुकर चुनाव लड़ेंगे और आपस में नहीं लड़ेंगें और चुनाव में आराम से मिल् जुल कर लड़ेंगे और जीतेंगे । उन्होंने कहा कि निरंजन राय के पार्टी से जुड़ने से नई ऊर्जा मिली है ।
हिमंता ने निरंजन को किया ‘सेट’
सुबह-सुबह हिमंता बिस्वा सरमा उन्हें हेलीकॉप्टर से मनाने पहुंचे थे। जब हिमंता और निरंजन राय की मुलाक़ात चल रही थी तब निरंजन के समर्थक नारेबाजी करते हुए डटे रहने की हिम्मत दे रहे थे लेकिन समर्थकों को शायद मालूम नहीं था कि राजनीति बड़ी गंदी चीज़ है। जिस बाबूलाल को हराने के लिए निरंजन राय दिन रात एक करते नज़र आ रहे थे वे असल में बीजेपी के ही प्रत्याशी थे । शैडो प्रत्याशी । सही वक्त आया और निरंजन राय बैठ गए । अब सवाल ये है कि सभी धर्मों और जातियों को लेकर चलने की राजनीति करने वाले निरंजन राय क्या कट्टर हिन्दुत्व की सियासत के पैरोकार बन कर बाबूलाल को जिता पाएंगे । क्या अपनी जाति भूमिहार को वोट को शिफ्ट करा पाएंगे