आगरा में इंस्पेक्टर शैली राणा के साथ हुई मारपीट के मामले में 11 पुलिस कर्मी फंस गए हैं। एसीपी ने अपनी जांच में उन्हें दोषी पाया है। एसीपी सदर सुकन्या शर्मा ने अपनी जांच रिपोर्ट डीसीपी को सौंप दी है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मेरठ से आए इंस्पेक्टर पवन कुमार के परिजनों को शैली राणा का सरकारी आवास पुलिस ने दिखाया था।
मुजफ्फरनगर से विजिलेंस स्थानांतरित हुए इंस्पेक्टर पवन कुमार एक महीने से मेडिकल अवकाश पर चल रहे थे। वह घर से इलाहाबाद जाने की कहकर निकले थे। एक मोबाइल बंद कर लिया था। पत्नी से संपर्क में नहीं थे। पत्नी गीता नागर, साला ज्वाला सिंह, सलहज सोनिका, भतीजा दिग्विजय मेरठ से आए थे। इंस्पेक्टर पवन कुमार को इंस्पेक्टर शैली राणा के सरकारी आवास पर पकड़ा था। उसके बाद बवाल हुआ था। दोनों इंस्पेक्टरों के साथ मारपीट हुई थी।
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मारपीट के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। मारपीट के दौरान पुलिस कर्मी मूकदर्शक बने रहे थे। पुलिस ने गीता, ज्वाला सिंह व सोनिका को जेल भेजा था। अन्य फरार हो गए थे। घटना के बाद दो दरोगा सहित आठ पुलिस कर्मियों के खिलाफ डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने उसी दिन कार्रवाई थी। दो मुख्य आरक्षी विशाल और हरिकेश को निलंबित किया गया था। शेष छह लाइन हाजिर किए गए थे।
पुलिस ने इस मामले में मारपीट का शिकार इंस्पेक्टर शैली राणा के कोर्ट में बयान दर्ज कराए थे। विवेचक ने बयानों का अवलोकन कर लिया है। मुकदमे में कुछ धाराएं और बढ़ सकती है। दूसरी तरफ एसीपी सदर ने अपनी जाच रिपोर्ट सौप दी है। बताया जा रहा है कि तीन और पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई तय है। उनके नाम जांच रिपोर्ट में खोले गए हैं।
जांच में पुलिस कर्मियों को मूकदर्शक बना रहने पर अकर्मण्यता, अनुशासहीनता और गोपनीयता भंग करने का आरोपित माना गया है। एसीपी ने भी जांच के दौरान पाया कि घटना के लिए थाना पुलिस ने भी साजिश रची थी। इस्पेक्टर पवन कुमार की पत्नी को थाने से ही सूचना मिली थी। मेरठ से आने पर इंस्पेक्टर का घर दिखाया था। मारपीट का वीडियो वायरल होना चाहिए। इसके लिए भी वीडियो बनाने के इंतजाम किए गए थे।
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