रांची : गांडेय में होने वाले उपचुनाव को लेकर बीजेपी बड़ी रणनीति बना रही है। लोकसभा चुनाव के बीच होने वाले इस विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी और जेएमएम की ओर से तैयारी जारी है। दोनों ही पार्टियां इसे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइल के तौर पर देख रही है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद हो रहे इस विधानसभा उपचुनाव को जेएमएम भावनात्मक रूप से लड़ना चाहती है। 31 दिसंबर 2023 को गांडेय के तत्कालीन विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा देने के बाद से ही इस बात के कयास लगाये जा रहे थे कि इस सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव लड़ेंगी और विधानसभा जाएंगे, अगर ऐसी परिस्थिति बनी कि हेमंत सोरेन को जेल जाने पड़े तो कल्पना को मुख्यमंत्री बनाया जा सके। इस दौरान कोई संवैधानिक संकट या कानूनी पेंच नहीं उलझे इसको लेकर जेएमएम ने अपनी प्लानिंग कर ली थी। लेकिन इसी दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बयान और संवैधानिक संकट को लेकर मानसिक दवाब बनाये जाने की वजह से संभवतः जेएमएम ने कल्पना को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, क्योकि उस समय बीजेपी के ये दोनों नेता लगातार बयान दे रहे थे कि विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम है इसलिए उपचुनाव नहीं हो सकता, इसको लेकर मुंबई हाईकोर्ट के एक आदेश को भी आधार बनाया गया था। लेकिन हरियणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे की वजह से करनाल में हो रहे विधानसभा उपचुनाव के साथ साथ गांडेय में भी उपचुनाव कराया जा रहा है, जबकि दोनों ही राज्यों में इसी साल के अंत में चुनाव होना है।
जेएमएम की ओर से कल्पना सोरेन का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है, कल्पना का गिरिडीह से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करना और उनकी पार्टी के नेताओं के हालिया बयान बता रहे है कि जेएमएम की ओर से कल्पना ही उपचुनाव में उम्मीदवार होंगी।
बीजेपी अब लोकसभा चुनाव के दौरान हो रहे इस विधानसभा उपचुनाव के बहाने कल्पना सोरेन को गांडेय में ही घेरने की तैयारी कर रही है। बीजेपी रणनीति बना रही है कि कल्पना को गांडेय तक ही सीमित कर दिया जाए। गांडेय में पार्टी की ओर से एक मजबूत उम्मीदवार दिया जाए जो कल्पना को टक्कर दे सके और जीत भी दर्ज करने की स्थिति में रहे। 19 मार्च को शिबू सोरेन की बड़ी बहू के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब पार्टी के पास एक तरूप का एक्का भी है। बीजेपी के नेता इस रणनीति पर काम कर रहे है कि सीता सोरेन की बेटियों में से किसी एक को कल्पना के खिलाफ उम्मीदवार बनाया जाए। कल्पना अगर हेमंत सोरेन के नाम पर भावनात्मक चुनाव लड़े तो सीता सोरेन की बेटी अपने पिता दुर्गा सोरेन के नाम और मां के साथ हुए अन्याय का मुद्दा उठाकर कल्पना की घेराबंदी कर दे। कल्पना सोरेन ने जिस तरह से गिरिडीह के साथ अन्य जगह सभा करते हुए हेमंत को जेल भेजने के नाम पर आंसू बहाये , बीजेपी को लोकसभा चुनाव के दौरान कल्पना के आंसू की कीमत ज्यादा नहीं चुकानी पड़े, इसलिए सोरेन परिवार की बेटियों को मैदान में उतारने की चाल चलने की तैयारी हो रही है। ऐसा करने से कल्पना गांडेय बचाने की लड़ाई लड़ेंगी और ज्यादा समय गांडेय में ही उनको देना होगा, राज्य के अन्य हिस्सों में हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी उपस्थ्ति उस अनुरूप नहीं हो पाएगी जैसा अभी तक जेएमएम मान कर चल रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कल्पना के लिए गांडेय की सीट प्रतिष्ठा की सीट है, अगर इस सीट को कल्पना बचा नहीं पाई तो उनकी राजनीति शुरू होने से पहले ही खत्म हो सकती है और जेएमएम के अंदर विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व का संकट पैदा हो सकता है। वही बीजेपी ये मान कर चल रही है कि उसके पास इस उपचुनाव में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, अगर उसने कल्पना को गांडेय में घेर दिया तो राज्य के अन्य हिस्सों में हो रहे लोकसभा चुनाव पर उसका असर पड़ सकता है। हालांकि गांडेय सीट पर आजसू पार्टी अपनी दावेदारी ठोक रही है, संभव है कि एनडीए की ओर से आजसू गांडेय सीट पर चुनाव लड़े और सीता सोरेन की कोई एक बेटी आजसू के सिंबल पर चुनावी मैदान में उतरे, एनडीए को ऐसा लगता है कि आजसू के सिंबल पर लड़ने से कल्पना को मिलने वाले मुस्लिम वोट में सेंधमारी हो सकती है। अब इंतजार जेएमएम और बीजेपी की ओर से इस उपचुपाव के उम्मीदवार के नाम के एलान का है।