रांचीः लोकसभा चुनाव 2024 में गुजरात के ‘सूरत’ संसदीय सीट की पूरे देश में चर्चा हो रही है। कई कारणों से सूरत में बीजेपी उम्मीदवार का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया। कहीं झारखंड में भी इस तरह की स्थिति नहीं बन जाए, इसके लिए आवश्यक सतर्कता बरतनी चाहिए। हालांकि सूरत में मानवीय भूल से ज्यादा राजनीतिक षड्यंत्र की झलक साफ मिलती हैं, लेकिन इसके बावजूद उम्मीदवारों और संबंधित पार्टियों को फॉर्म ए और बी को भरने में पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए।
संसदीय मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए अब झारखंड में भी उम्मीदवारों के नामांकन का सिलसिला चालू हो गया है, क्योंकि 13 मई को सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा और पलामू में मतदान होना है। 13 मई को होने वाला मतदान चौथे चरण में आने वाले क्षेत्रों के लिये होंगे, परंतु झारखंड के लिए यह शुरुआती चरण होगा।
सूर्यकांत शुक्ला ने बताया कि नामांकन के क्रम में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रत्याशी फॉर्म ए और बी की चर्चा करते अक्सर सुने जाते हैं। कार्यकर्ताओं को भी जिज्ञासा रहती जानने कि यह फार्म ए और बी है क्या? उन्होंने बताया कि राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ने के लिये खड़े किये जाने वाले प्रत्याशी के नाम को अधिकारिता प्रदान करने वाला यह एक फॉर्म है।
यानी यह फार्म प्रत्याशी की राजनीतिक पहचान को प्रमाणित करता है। और अन्य सभी अहर्ताओं के मान्य पाये जाने पर यह तय हो जाता है कि अमुक पार्टी का अमुक प्रत्याशी किस चुनाव चिह्न पर अपना चुनाव लड़ेगा। इसे ही फार्म-बी कहा गया है जिसकी चर्चा सबसे ज्यादा होती है। इसे ही पार्टी का सिंबल देने वाला पत्र माना जाता है।
अब बात करेंगे फार्म ए पर। यह पार्टी की आंतरिक ब्यवस्था से संबंधित है। यह बताता है कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिये तय किये गये प्रत्याशी की सूचना देने के लिए पार्टी का अधिकृत व्यक्ति (पदाधिकारी) कौन है। सूचना देने वाले अधिकृत पदाधिकारी के तीन नमूना हस्ताक्षर भी इस फार्म में होते हैं। इसी फार्म ए के माध्यम से राज्य के मुख्य चुनाव पदाधिकारी और रिटर्निंग आफिसर लोक सभा संसदीय क्षेत्र को देने का प्रावधान है। नामांकन मे जो सबसे ध्यान देने वाली बात यह कि मांगी जा रही सभी सूचनाओं को भरना है। खाली या नॉट अप्लीकेबुल करके भी भरना है लेकिन खाली नहीं छोड़ना है। इसके अलावा केस मुकदमे की सूचना, संपत्ति जायदाद की सूचना, देनदारी-बकाये की सूचना भी देनी है। आरक्षित क्षेत्रों के संदर्भ मे जाति प्रमाण पत्र भी जरूरी कागजात है। इसके अलावा राजनीतिक दलों को फॉर्म ए की कॉपी जिला निर्वाची पदाधिकारी के अलावा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय को भी सौंपनी है।